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रथ यात्रा विश्व की प्रसिद्ध और प्रधान यात्रा हे, रथ यात्रा पूरी और अहमदाबाद में आशाढ़ शुक्ल द्वितीया को होती है, श्री जगन्नाथ, सुभद्रा को स्नान करावकार रथ मे बिठाकर बड़े समारोह के साथ जनकपुर और विश्राम वाटिका की ओर जाते हैं, ટીમો देवता सुन्दर गहना पहने ठाठ बाट के साथ रथपर लाकर बिठाए जाते हैं, पूरी के ठाकुर राजा, हाथी, घोड़ा पालखी आदि आसवबो के साथ वहा आते हैं रथ से दूर पर सवारी से उतरकर पैदल से रथ के समीप आते हैं, तीनो रथ के ऊपर सुवर्णा जाडू से अपने हाथो वहार्ते है, पूजा करने के बाद सबसे पहले तीनो रथो का बड़े प्रेम और उत्साह के साथ यात्री लोग खींचते हैं, जनक पुर पहुचने पर कच्ची रसोई का भोग लगाया जाता है, चौथे दिन लक्ष्मी जी बड़े समारोह के साथ साथ साज बाज कर अपने स्वामी के दर्शन के लिए आती है, उस तिथि को हेरा पंचमी कहते हैं जन्म स्थान पर जाकर सात दिन रहकर फिर अपने रत्न सिंहासन पर दशमी के दिन उसी रथ पर लौट आते हैं, उसे वहुडा यात्रा कहते हैं,बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहते हैं और दर्शन करके धन्यता महसूस करते हैं, हर साल रथ के पैए नयी लकड़ी से बनाया जाता है, पूरी यात्रा एक सुखद अनुभव है, भगवान जगन्नाथ मंदिर से लेकर रथ यात्रा पूरी शहर में विभिन्न स्थानों पर जाती है, बहुत उत्साह के साथ यह उत्सव मनाया जाता है,
अहमदाबाद में भी उसी तरह रथ यात्रा निकलती है, जमालपुर साबरमती नदी के किनारे स्थित जगन्नाथ मंदिर से जल्दी सुबह मुख्य मंत्री के हाथो पूजा करवा कर रथ को लोग खींचकर आगे बढ़ाते हुए पूरे शहर में घुमाते हैं, दोपहर में सरसपुर जो भगवान का ननिहाल माना जाता है वहा पहुचते ही विश्राम होता है लोग प्रसाद भोजन के रूपमे खाते हैं, सरसपुर में भगवान जगन्नाथ और सुभद्रा जी को सोने के गहने कारियावार के रूप में दिए जाते हैं, भगवान को कारियावार देने के लिए लंबी लाइन लगी है, 13 साल बाद बारी आती है, पहले से अपना नाम दर्ज कराना होता है, वहा से निकलकर रथ यात्रा निज मंदिर की ओर बढ़ती है, अहमदाबाद में जब रथ यात्रा निकाले तब कुछ न कुछ दंगा फसाद होता था लेकिन जबसे भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है तब से रथ यात्रा के दौरान कोई बबाल नहीं हुआ है, इससे पहले लोग रथ यात्रा मे दर्शन के लिए जाते हुए डरते थे और जल्दी से वापस आ जाते, लेकिन अब माहोल बदल गया है, रथ यात्रा मे विभिन्न अखाड़े भी हिस्सा लेते हैं, अपनी कला को प्रदर्शित करते हैं, मुख्य मंत्री मेघानी नगर के अखाड़े के पहलवान मंगलदस को इनाम देकर प्रोत्साहित करते हुए मेने देखा है, उसमे धार्मिक संस्था ए और ऎसे अखाड़े के साधु और युवक मंडल अपनी टीम के साथ जुड़ते हैं, यात्रा के दौरान मूंग और ककड़ी का प्रसाद दिया जाता है, पुलिस की जिम्मेवारी बढ़ जाती है, रथ यात्रा के पहले दिन ही वो अपनी ड्यूटी समाल लेते हैं और जब रथ यात्रा पूरी होती है तब शांति का अनुभव करते हैं, भगवान जगन्नाथ की यात्रा का पूरा विवरण टीवी चैनल के माध्यम से लोगो को दिखाया जाता है,
भगवान जगन्नाथ के चरणों में सिर झुकाकर वंदन…..
#गुलाबचन्द पटेल
परिचय : गांधी नगर निवासी गुलाबचन्द पटेल की पहचान कवि,लेखक और अनुवादक के साथ ही गुजरात में नशा मुक्ति अभियान के प्रणेता की भी है। हरि कृपा काव्य संग्रह हिन्दी और गुजराती भाषा में प्रकाशित हुआ है तो,’मौत का मुकाबला’ अनुवादित किया है। आपकी कहानियाँ अनुवादित होने के साथ ही प्रकाशन की प्रक्रिया में है। हिन्दी साहित्य सम्मेलन(प्रयाग)की ओर से हिन्दी साहित्य सम्मेलन में मुंबई,नागपुर और शिलांग में आलेख प्रस्तुत किया है। आपने शिक्षा का माध्यम मातृभाषा एवं राष्ट्रीय विकास में हिन्दी साहित्य की भूमिका विषय पर आलेख भी प्रस्तुत किया है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय(दिल्ली)द्वारा आयोजित हिन्दी नव लेखक शिविरों में दार्जिलिंग,पुणे,केरल,हरिद्वार और हैदराबाद में हिस्सा लिया है। हिन्दी के साथ ही आपका गुजराती लेखन भी जारी है। नशा मुक्ति अभियान के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी दवारा भी आपको सम्मानित किया जा चुका है तो,गुजरात की राज्यपाल डॉ. कमला बेनीवाल ने ‘धरती रत्न’ सम्मान दिया है। गुजराती में‘चलो व्यसन मुक्त स्कूल एवं कॉलेज का निर्माण करें’ सहित व्यसन मुक्ति के लिए काफी लिखा है।
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