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सच्ची बात है कहता राणा,,,
मेरा झूठा ये अंदाज नहीं,,,
कि सादगी से ढका सौंदर्य,,,
किसी फैशन का मोहताज नहीं,,,
यौवन को परिभाषित करना,,,
मुर्खों का व्यवहार है,,,
वरना पांव से कोई कांटा भी निकाले,,
तो वो अदा भी एक श्रृंगार है,,,
सचिन राणा हीरोहरिद्वार(उत्तराखंड)
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