
गिरती हुई अर्थव्यवस्था,
को कौन बचाएगा।
मरते हुए इंसान को,
कौन बचाएगा।
यदि ऐसा ही चलता रहा,
तो देश डूब जाएगा।
और इसका श्रेय फिर,
किस को देओगे।।
जब जब भी अच्छा हुआ,
वो मेरी किस्मत थी।
अब बढ़ रही महंगाई,
तो ये किसी की किस्मत हुई?
और गिर रही है विश्व में साख,
तो इसका श्रेय किसको दोगें।
ये तो आप ही बताओगें,
या फिर इसका दोष भी,
ओरो पर लगाओगें।।
अब तक जो भी किया,
उनसब में फेल हो गये।
अच्छे दिनों की जगह,
बुरे दिनों में खुद ही फस गये।
हां देश में जाति कार्ड के,
जरूर ही हीरो बन गए।
और इंसानों को अपास में,
लड़वाने में सफल हो गये।।
बनी बनाई अर्थव्यवस्था का,
चकना चूर कर दिए।
और अपने बड़ बोलेपन से,
खुद ही हीरो बन गये।
कितने बद जुबान है
जिम्मेदार लोग,
जो जहर उगल रहे है।
और युवा पीढ़ी को
रास्ते से भटका रहे है।।
विदेशों में जाकर गांधी को,
अपना आदर्श बताते है।
और उसके नाम को,
वहां पर भुनाते है।
और उसकी के देश में,
उसे देशद्रोही कहते है।
और उसके हत्यारे का,
गुण गान करते है।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।