कौन मरा है

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कोई कहता है मरा हिन्दू कोई कहता मुसलमान मरा है
अरे कोई ये क्यूं नहीं कहता आज फिर इक इन्सान मरा है

कोई कहता ब्राह्मण मरा है मरा है कोई कहता ठाकुर
न ब्राह्मण न ठाकुर मरे हुए गांधी का हिन्दुस्तान मरा है

न अम्बेडकर का शूद्र सिद्धांत न मनु की मनुस्मृति मरा यहां
मरा तो शायद स्वामी विवेकानन्द जी का अभियान मरा है

हिन्दू-मुस्लिम के चक्कर में वेदों की मूल प्रति हम गवां बैठे
पांच पति मान बैठे हम द्रोपदी का स्वाभिमान मरा है

लोकतंत्र है जाओ वोट डाल राजनीति को भूल जाओ
नीति नेताओं के चक्कर में  भारत का सम्मान मरा है 

लड़ते कटते लुटते रहे सदियों से इबादते फर्क खातिर
मरे तो हमीं अब तक कब अल्लाह गॉड भगवान् मरा है

लड़ते लुटते बिखर जाएंगे फिर एक दिन ऐसे तीरथ
भाई के मरने पर भाई सोचेगा यह तो  शैतान मरा है

#आशुतोष मिश्र तीरथ
         गोण्डा

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।