अख़बार रद्दी कर गया विकास

0 0
Read Time4 Minute, 0 Second

सुबह का अखबार शाम को रद्दी हो जाता है यह तय है पर इस बार अखबार सुबह-सुबह ही रद्दी हो गया। ये चंदू भैया के जीवन में किसी हादसे से कम नहीं है। पूरे चार रुपये का अखबार चंदू भैया को लेना पड़ रहा है। वो भी मजबूरी में। क्योंकि बचपन से ही चंदु भैया को तंबाखू और बीड़ी मांगने की आदत रही। उनने सदा से ही मांग कर ही अखबार पढ़ा है। पर कोरोना के कारण लोग कोई भी मांगी हुई चीज दे नहीं रहे है। मांगने जाए तो भी पड़ोसी मुंह खोलकर इंकार कर देते है और कहते है कि कोरोना के कारण वे नहीं दे पाएंगे। माफ करे।

पहले तो पड़ोसियों का यह व्यवहार चंदू भैया को थोड़ा अटपटा लगा पर आखिर में मन मारकर उन्होंने एक अखबार की बंदी लगवा ही ली। पर अखबार वो मंगवाते जिसमें पेज ज्यादा हो और दाम कम हो। पर मुए लॉकडाउन के कारण सारे अखबारों ने दाम तो वही रखे पर पेज कम दिए। जिसके कारण रद्दी कम बैठ रही है और चंदू भैया अखबार से होने वाली आवक जावक का हिसाब लगाते हुए वैसे ही तनाव में रहते है। उन्हें पता है कि जितने रुपये वे हॉकर को देंगे उसका पच्चीस प्रतिशत ही कबाड़ी उनको देगा। याने पचहत्तर प्रतिशत नुकसान तय है। पर करे क्या आदत जो पड़ गई है।

दो दिन पहले चंदु भैया का तनाव और ज्यादा बढ़ गया। सवेरे-सवेरे अखबार में “विकास” कथा पढ़ रहे थे कि इतने में टीवी पर समाचार आ गया कि विकास की कथा में एक और नया पृष्ठ जुड़ गया है। विकास हमेशा आगे की ओर दौड़ता था। और रोज नया इतिहास लिखता था। कहते है जो दौड़ता है उसके पीछे भी कुछ लोग दौड़ते है, टांग खीचने के लिए। पर इस पृष्ठ में दौड़ने वाले विकास की कहानी में दौड़ के साथ ठहराव वाला भाग बड़ा रोचक और रोमांचक था। टांग खींचने वाली बात तो कहीं थी ही नहीं, बल्कि विकास खुद अपनी टांग लम्बी किए खड़ा हो गया। यही बात उसकी स्टोरी में और सस्पेंस ला रही थी। और चंदू भैया का रोमांच बढ़ता जा रहा था। विकास गया तो गया अखबार पढ़ने का सब मजा किरकिरा कर गया।

महाकाल शरण में आया था विकास पर लगता है महाकाल पर भरोसा नहीं था वरना वो दौड़ता नहीं तो जीवन छोड़ता नहीं और अपनी कहानी में अंतिम पृष्ठ जोड़ता नहीं। पर विकास न गिरता तो कईं और नीचे गिर जाते। विकास जिस रफ्तार से आगे बढ़ा था वो किस्सा किसी हिट फिल्म से कम नहीं था। बहुत ही रस आ रहा था विकास की गाथा को पढ़ने में पर विकास की गाथा में विनाश ही विनाश का विकास था। सफेद, लाल, भगवा, खाकी सारे रंग विकास के रंग में रंगे थे। विकास का होना इन सब रंगों को बदरंग कर सकता था। बस यहीं एक भय विकास के विनाश का कारण बन गया। विकास गया तो गया पर चंदू भैया का शुक्रवार का अखबार रद्दी कर गया। और शनिवार को ताजा समाचार की जगह सत्यकथा पढ़ने को मजबूर कर गया।

संदीप सृजन
उज्जैन (म.प्र.)

matruadmin

Next Post

बादल

Sat Jul 11 , 2020
कभी जो थे मासूम से सूने-सूने बादल | अब दिखा रहे तरह-तरह के रंग बादल || झमा-झम-झम झड़ी लगा रहे | तड़ा-तड़-तड़ बिजली चमका रहे || कभी छोटीं तो कभी बड़ीं-बड़ीं बूंदें | सुन गड़-गड़ की ध्वनि बच्चे आँखें मूंदें || जब जोर-शोर से बरसे पानी | छतरी खोल बाहर […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।