डॉ. अब्दुल कलाम का जीवन और प्रेरक बात

0 0
Read Time4 Minute, 56 Second

भारत रत्न डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम जयंती (विश्व विद्यार्थी दिवस )* पर विशेष


15 अक्टूबर के दिन को ‘विश्व विद्यार्थी दिवस’ (World Student’s Day) मनाया जाता है। ।यह दिवस भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की स्मृति में मनाया जाता है।उनका जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम सभी वर्गों और जाति के छात्रों के लिए एक प्रेरक और मार्गदर्शक की भूमिका निभाते थे। एक छात्र के रुप में उनका खुद का जीवन काफी चुनौतीपूर्ण था और अपने जीवन में उन्होंने कई तरह के कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना किया। इसके अलावा अपने बचपन में वह अपने परिवार और खुद के भरण-पोषण के लिए, वह दरवाजे-दरवाजे जाकर अखबार भी बेचा करते थे।लेकिन अपनी पढ़ाई के प्रति अपनी दृढ़-इच्छा शक्ति के कारण वह अपने जीवन में हर तरह की बाधाओं को पार करने में सफल रहे और अपने जीवन में हर चुनौती को पार करते हुए, राष्ट्रपति जैसे भारत के सबसे बड़े संवैधानिक को प्राप्त किया। उन्होंने वर्ष 2002 से 2007 तक देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में सेवा दी थी।उनका निधन 27 जुलाई, 2015 को शिलांग, मेघालय में हुआ था।

भारतरत्न डॉ. APJ अब्दुल कलाम जी द्वारा विकसित की गई

 *शिक्षकों के लिए शपथ* 
  1. सबसे पहले, मैं शिक्षण से प्रेम करूँगा/करूंगी। शिक्षण मेरी आत्मा होगी।
  2. मैं महसूस करता/करती हूँ कि मैं न सिर्फ छात्रों को अपितु प्रज्वलित युवाओं को आकार देने के लिए जिम्मेदार हूँ, जो पृथ्वी के नीचे, पृथ्वी पर और पृथ्वी के ऊपर सबसे शक्तिशाली संसाधन हैं। मैं शिक्षण के महान मिशन के लिए सम्पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हो जाऊंगा/जाऊंगी।
  3. मैं स्वयं को एक महान शिक्षक बनाने के लिए विचार करूंगा/करूंगी,जिससे मैं अपने विशिष्ट शिक्षण के माध्यम से औसत स्तर के बालक का उत्थान सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए कर सकता/सकती हूँ।
  4. विद्यार्थियों के साथ मेरा कार्य-व्यवहार एक माँ, बहन, पिता या भाई की तरह दयावान और स्नेहपूर्ण रहेगा।
  5. मैं अपने जीवन को इस प्रकार से संगठित एवं व्यवहृत करूँगा/करूँगी कि मेरा जीवन स्वयं ही मेरे विद्यार्थियों के लिए एक संदेश बने।
  6. मैं अपने विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने तथा उनमें जिज्ञासा की भावना को विकसित करने को प्रोत्साहित करूंगा/करूँगी, ताकि वे रचनात्मक प्रबुद्ध नागरिक के रूप में विकसित हो सके।
  7. मैं सभी विद्यार्थियों से एकसमान व्यवहार करूंगा/करूँगी तथा धर्म, समुदाय या भाषा के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव का समर्थन नहीं करूंगा/करूँगी।
  8. मैं लगातार अपने शिक्षण में क्षमता का निर्माण करूँगा/करूँगी ताकि मैं अपने छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान कर सकूं।
  9. मैं अत्यंत आनन्द के साथ अपने छात्रों की सफलता का जश्न मनाऊँगा/मनाऊँगी।
  10. एक शिक्षक होने के नाते मैं अहसास करता/करती हूँ कि राष्ट्रीय विकास के लिए की जा रही सभी पहल में मैं एक महत्वपूर्ण योगदान कर रहा/रही हूँ।
  11. मैं लगातार मेरे मन को महान विचारों से भरने तथा चिंतन व कार्य व्यवहार में सौम्यता का प्रसार करने का प्रयास करूँगा/करूँगी।
  12. हमारा राष्ट्रीय ध्वज मेरे ह्रदय में फहराता है तथा मैं अपने देश के लिए यश लाऊँगा/लाऊँगी।

#गोपाल कौशल

परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

मिलने की आस

Tue Oct 15 , 2019
तेरे मेरे सपने, अलग हो सकते है। जिंदगी को जीने का, सलीका भी अलग हो सकता है। पर तेरे दिल में, मेरे लिए, मेरे दिल में, तेरे लिए, कुछ तो है? तभी तो, तुम मेरे दिल में, और हम, तेरे दिल मे, बसते है।। दूर होकर भी कितने पास हो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।