मृत्यु भोज एसा कराना

3 0
Read Time2 Minute, 19 Second

हाँ बेटा
मेरी मृत्यु पर तुम भी
एक मृत्यु भोज कराना।
सड़क पर कचरे से
भूख मिटाती
गइया है न
उसे भर पेट हरा
चारा खिलाना
फिर जीभर
शीतल जल पिलाना
और देखो !सड़क पर
जो आवारा से
घूमते श्वान दिखे
तो उन्हें भरपेट भोजन कराना
हाँ एक काम जरूर करना
सबसे पहले
अपने आसपास से
प्लास्टिक का
कचरा हटाना
कहि कोई जानवर
अपनी भूख में उसे न खा बैठे।
और हाँ बेटा!
वो जो चींटिया और चिडीया है न
उनको चुग्गा अपने हाथों से
एक बार जरूर खिलाना
कोरे सकोरे में
भरकर पानी
उनकी प्यास बुझाना
देखो मेरे लाल!
दरवाजे पर आए
भूखे प्यासे को
तृप्ति भर देना
और अगर कोई मजदूर दिखे
तो उसकी मजदूरी
पूरी कर देना
उसके बच्चे भूखे न सोये
कोई अनाथ ,गरीब बालक
को पेटभर जलेबी
जरूर खिलाना
मुझे भी बहुत पसंद थी न
जलेबी
और हाँ !
जो वहाँ से गुजरे कोई
अबला
जिसकी गोद मे
दुधमुंहा बच्चा हो
उसे छटाँग भर ही सही
दूध जरूर पिलाना
बेटा ,सुनो !
मुझे कफ़न भले न
ओढ़ाना
तन ढांपने को कपड़ा देना
किसी गरीब का
हो सके
कष्ट मिटाना।
बेटा!
मेरी मृत्यु पर तुम
एसा मृत्युभोज कराना ।

#विजयलक्ष्मी जांगिड़

परिचय : विजयलक्ष्मी जांगिड़  जयपुर(राजस्थान)में रहती हैं और पेशे से हिन्दी भाषा की शिक्षिका हैं। कैनवास पर बिखरे रंग आपकी प्रकाशित पुस्तक है। राजस्थान के अनेक समाचार पत्रों में आपके आलेख प्रकाशित होते रहते हैं। गत ४ वर्ष से आपकी कहानियां भी प्रकाशित हो रही है। एक प्रकाशन की दो पुस्तकों में ४ कविताओं को सचित्र स्थान मिलना आपकी उपलब्धि है। आपकी यही अभिलाषा है कि,लेखनी से हिन्दी को और बढ़ावा मिले।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

जनता के राष्ट्रपति भारत रत्न अब्दुल कलाम की यादों का गुलदस्ता

Mon Oct 14 , 2019
15 अक्टूबर(जन्मदिवस) 1950 में इन्होंन अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से प्राप्त की। बाद में हावर क्राफ्ट योजना में काम करने हेतु भारतीय रक्षा अनुसंधान एवम विकास संस्थान में प्रवेश किया। 1962 में उन्होंने कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजना में काम किया। परियोजना निदेशक के रूप […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।