
लाख समझाया उसको पर वो कंहा समझती है,,,
वो हंसकर बात करती है तो ये दुनिया शक करती है,,
तारीफ करूं उसकी आंखों की या फिर रपट लिखाऊ थाने में,,
उसकी आंखें कत्ल मेरा कई कई बार करती है,,
वो हंसकर बात करती है तो ये दुनिया शक करती हैं,,
वो तो हंस कर चली जाती है मैं तन्हा बिखर जाता हूं,,
वो ख्वाबों को दे जाती है मैं पागल सो भी ना पाता हूं,
एक हंसी से कैसे मेरी नींदें हराम करती हैं,,
वो हंसकर बात करती है तो ये दुनिया शक करती है,,
मेरे घर के सामने से नहीं रस्ता है उसके घर का,,
फिर भी जाने को अपने घर मेरा रस्ता प्लान करती है,,
दिख जाऊं दरवाजे पर अगर तो घबरा जाती है,,
तब मुस्कुराके बस वो नजरों से सलाम करती है,,
लाख समझाया उसे पर वो कहां समझती है,,
वो हंसकर बात करती है तो ये दुनिया शक करती है,,
#सचिन राणा हीरो
हरिद्वार (उत्तराखंड )