
झूठ के हाथों सत्य का अपहरण हो गया है
शासन-प्रशासन देश का कुम्भकरण हो गया है
पैसे वाले जीत जाते है हर बार वहां पर
इंसाफ के मंदिरो का बाजारीकरण हो गया है
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खूब चल रहा है बाबाओं का ढ़ोंग धतुरा
अंधविश्वास मे डूबा है भारत देश पुरा
सियासत बराबर अपना काम कर रही है
जाति-धर्म के नाम पर हाथों मे आ गया छुरा।
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भक्ति को शक्ति से आत्मा को परमात्मा से मिला दो
कोई रोते को हंसा दो कोई भूखे को खाना खिला दो
मानवता से बडकर कोई धर्म कोई मजहब नही है यारों
मंदिर तो रोशन है हो सके तो अंधेरों मे दीया जला दो।
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इंसान को अब इंसान से रिस्ता जोड लेना चाहिये
सारे मंदिर सारी मस्जिदें तोड देना चाहिये।
मोहब्बत से बडकर कुछ भी दुनिया मे नही है
अब ये बाईबल,गीता,कुरान छोड देना चाहिये।।
#संजय अश्क बालाघाटी