बारिश तो वही बारिश है,  बस हम ही बदल गए

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sachin
वहीं बारिश, वही कीचड़, वही मौसम पुराना है,,
बस हम ही बदल गए, और बदला नया ठिकाना है,,
 सिर के पल्लू को मुह से दबाए, अब गोरी कहां निकलती है,,
हंसी ठिठोली कि कोई महफ़िल, अब कहां भला सजती है,,
बारिश के पानी में अब कहां, कागज की  नाव  कोई चलाता है,,
अपने आंगन में बाहें फैलाकर, अब कोई कहां नहाता है,,
वही मिट्टी, वही खुशबू, वही मौसम सुहाना है,,
बस हम ही बदल गए, और बदला नया ठिकाना है,,
कच्चे घर  हुए पक्के, फसलें भी नई रच गई है,,
मेरे गांव की कई नस्लें, अब शहरों में बस गई है,,
वही नीम के पत्ते वही छेड़ा पीपल ने तराना है,,
बस हम ही बदल गए, और बदला नया ठिकाना,,
वहीं बारिश, वही कीचड़, वही मौसम पुराना है,,
 बस हम ही बदल गए, और बदला नया ठिकाना है,,
सचिन राणा हीरो
हरिद्वार (उत्तराखंड)

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