उम्मीदे आई ये बारिस

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ritu ray
बन उम्मीदे आई ये बारिस
जीवन मे नये रंग लाई ये बारिस
सुखी वसुंधरा की प्यास बुझे गी
है बंजर जो जमीन वो फिर से खिले गी
ये बारिस सिर्फ बारिस नहीं है
ये उम्मीद है किसी किसान की
तो किसी सूखे सरोवर की प्यास है
इस बारिस मे खिलेगी फिर से
अब सुखी पेड़ो की डालियां
महक उठे गी फिर से सुखी ,
शुष्क तन्हा पड़ी फूलो की डालियां
थमी हुई नदी अब फिर से
अपने सफर पे निकल पड़े गी
कही मिलेगी नदियों से नदियाँ
कही कई नदियां मिल कर संगम का पर्व बनेगी
लिखेगा कोई कवि इसपे अपनी कोई कविता
तो किसी सायर की ग़ज़ल बनेगी
कोई भीगे गा इसमें अपने अरमानो के संग
चंद बूंदों के संग भरने जीवन मे नये रंग
बन उम्मीदे आई ये बारिस
धरा पर  सुखद सन्देश लायी ये बारिस
मेघ तेरी गर्जना से उम्मीदे बधी थी
तड़फते पशु और नर ,नारी
जलचर, मीन, जीव , जन्तु और ये धरती सारी
प्यासी  वसुंधरा प्यासा ये मन था
विन तेरे धरा पर ये  जीवन बेमन था
प्रकृति को तूने ,जीवन दिया है
हर प्यासे की तूने प्यास बुझाई
मेघ तुझसे ही सम्भव सब् हो पाया
विन तेरे धरा पर हलचल मची थी
तेरी एक बूंद को धरती थी प्यासी
बड़ा इंतजार तेरा ये आँखे थी तरसी
तुझसे निवेदन मेघ , फिर से तू आजा
हरा -भरा ये जीवन और ये धरा बना जा
इस प्यासी धरा  की   तू प्यास बुझा जा।
#ऋतू राय ऊषा

matruadmin

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