दिल धड़कना छोड़ दिया है /
जब से गए हो तुम दूर मुझसे /
तब से नाम के सहारे जिन्दा हूँ /
मै डर गया हूँ तेरी वफ़ादारी से //
तेरे दमन पर जो रंग लगता है।
दिल मेरा यहां धड़कता है।
कोई कैसे तुमको,
मेरे से पहले रंग लगा सकता है।
क्योकि सबसे पहले हक,
तुम्हारे इस दोस्त का बनता है//
जुदाई का दर्द, सिर्फ वही जानता है /
जिसका अपना, अपने से दूर होता है /
दर्द तो ऐसे, मेरे पीछे पड़ा है,
जैसे उसकी, पहली मोहब्बत मैं हूँ //
दर्द क्या है, जो पीछा नही छोड़ रहा है।
जिसके कारण, हर शाम कटती है /
मेरी मधुशाला में, शायद दर्द कुछ कम हो /
पर दर्द और भी बढ़, जाता है पीने के बाद //
यदि जानना चाहते हो, जिंदगी का दर्द /
तो एक बार, मोहब्बत करके देख लो ।
तुम्हे वफ़ादारी का, इनाम मिल जायेगा /
या तो दिल, गुलिस्तान बन जायेगा /
या पूरा ही, गुलिस्तान उजाड़ जायेगा /
तुम्हारे सारे दर्द, यूही मिट जाएंगे ।
एक बार मोहब्बत, करके तो देखो।
जीवन तुम्हारा, फूलो की तरह महकेगा /
बस किसी से, दिल लगाकर तो देखो /
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।