अपने पराये

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avinash tiwari
जब अपने हुए पराये
किसका दोष कौन बताए।
रुपयों की खनक
अधिकार की धमक

रौदते रिश्ते की खुश्बू
स्वार्थ की बात समाये
जब अपने हुए पराये……..

एक खून जज्बात एक
क्यों लोग भटके जाते हैं
तेरा मेरा कुछ नही
पर क्यों सिक्के खनखनाते हैं

प्रेम के सूत्र में पिरोये
मोती बिखर से जाते है
क्यो अपने ही होते पराये हैं।।

#अविनाश तिवारी
जांजगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)

matruadmin

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