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जला सूरत तस्वीर थी बदसूरत
प्रशासन था मौन कैसी ये फितरत
झुलस गए मासूम
मां उसको निहार रही,
हड्डी के ढांचों में ममता निढाल विलाप रही।
आग बुझी इमारत की दिल की आग कौन बुझायेगा
क्या सिर्फ मुआवजों से मरहम लग पायेगा।
सुविधा विहीन इमारत पर कोचिंग का गोरख धंधा है।
लील गया मासूमो को मानवता भी
शर्मिंदा है।
नमन तुमको मां के लाल तुम भारत के भविष्य थे
श्रद्धा अर्पित करते तुमको
व्यवस्था मूक और बधिर थे।।
#अविनाश तिवारीजांजगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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