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सिसकता बचपन गिद्धों के झुंड में
नोचते मांस पैशाचिक मंडियों में
खबर नहीं खबरनवीसों को
निकलेंगे कैंडल शहरी नहीं
घटना घटी जो झुग्गी बस्ती में
सरोकार उनसे है नहीं।।
तौलते सम्मान इनका सियासत
की तराजू में,
घुटती मसलती कलियां
आवाज गुम रुलाई में।।
शर्मसार बाज़ार घूमते सियार
घूरती हैवानियत
जिल्लत का व्यापार
क्यों करें विरोध हम
आग यहां लगी नही
जख्म नासूर बन गए
हम रहे वही के वहीं
#अविनाश तिवारीजांजगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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