सस्ती लोकप्रियता हासिल करने फिर मैदान में उतरे काटजू

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काटजू ने अबकी बार निशाना बनाया हिन्दी कविता को* 
दिल्ली।
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू और विवादित बयानों का पुराना नाता है। हर समय सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के उद्देश्य से काटजू उलूल जुलूल बयान देते रहते है। इस बार काटजू ने हिंदी कविता को निशाना बनाया।
मार्कंडेय काटजू ने कहा- ‘हिन्दी कविता में नहीं उर्दू जैसा दम’, इसी पर हिंदी के कवि कुमार विश्वास ने काटजू को करारा जवाब दिया।
ट्वीट करते हुए काटजू ने कहा है कि आधुनिक हिन्दी कविता में उर्दू जैसा दम नहीं है। काटजू यहीं पर नहीं रुके। उन्होंने हिन्दी की खिंचाई करते हुए एक लाइन लिखी।
ट्वीट में काटजू यहीं पर नहीं रुके। इसके बाद उन्होंने ये लाइन लिखी है। “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।” फिर इसके बाद इसी लाइन को हिन्दी शब्दों में इस तरह से लिखा है “शीश कटवाने की इच्छा अब हमारे हद्य में उपस्थित है।” फिर काटजू ने कहा है कि ये क्या आवाज़ है। क्या इसमे कोई दम है।
हिंदी के गौरव की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ ने काटजू को ट्वीट कर लिखा कि-
*’श्रीमान काटजू जी, कितनी हिंदी कविताएँ पढ़ी है आपने जो ये वक्तव्य दिया? कभी दिनकर, निराला, महादेवी, कुंभज, जयशंकर, नीरज, कुमार विश्वास को पढ़ना, शायद ज्ञान में वृद्धि हो जाएं।’*  एवं *हिंदी का उन्नत आकाश वैसे आपकी परवाह नहीं करता काटजू जी, क्योंकि ये आपके अध्ययन की कमी या सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की आपकी पुरानी आदत जैसा ही है। ईश्वर आपको सद्बुध्दि प्रदान करें।*
संस्थान के गणतंत्र ओजस्वी ने तो काटजू से ककहरा सीखने की बात कह दी। उन्होंने ट्वीट किया कि ‘हिन्दी के गगन में  विचरण करने की सामर्थ्य आपके कृत्रिम पंखों में नहीं है ! आप अपने अधकचरे ज्ञान को अपने खींचे में सम्हाल कर रखें । लगता है आपने बचपन से हिन्दी की शिक्षा नहीं ली! आशा है आप जल्दी ही स्लेट-खड़िया लेकर आयेंगे। मैं  आपको कखग पढ़ाने को तैयार हूँ ।’
#देशविरोधीकाटजू #मानसिकरोगीकाटजू

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।