सौगंध मुझे इस स्याही की,
मैं कलम न रूकने दूँगा
ठेस न पहुँचे दिलों को
वो शब्द न लिखने दूँगा
मैं दिलों को न बँटने दूँगा।
सभी को आए ज्ञान
शब्द का रखूंगा ध्यान
वो चिंगारी अहंकार की
न पनपने दूँगा
सौगंध मुझे इस स्याही की,
मैं कलम न रूकने दूँगा।
चिंगारी देश प्रेम की
बरकरार रहे दिलों में
सभी मजहब आबाद रहे यूँ ही
कसम खाता हूँ
अनेकता न बढ़ने दूँगा
सौगंध मुझे इस स्याही की,
मैं कलम न रूकने दूँगा।
सभी का सम्मान करे
दिलो पर राज करे
शब्दों के वाणो से ना प्रहार करे
ऐसे शब्द न कहने दूँगा
सौगंध मुझे इस स्याही की,
मैं कलम न रूकने दूँगा।
थक गया गर कभी
शब्दो को पढ़ लूँगा
मान सम्मान और मर्यादा
पाकर नई ऊर्जा शब्दों की
नई चेतना का गुनगान करूँगा
सौगंध मुझे इस स्याही की,
मैं कलम न रूकने दूँगा।
खोकर अपना ईमान-घर्म
चोर चाटुकारो के संग
भ्रष्ट तंत्र और घूसखोरो से
तंग होकर न पथ से हटूँगा
सौगंध मुझे इस स्याही की,
मैं कलम न रूकने दूँगा।
जब जब आए मुश्किल वक्त
एकता की शक्ति से प्रहार करूँगा
जात पात और आतंकबाद
ना बर्दाश्त करूँगा
सौगंध मुझे इस स्याही की,
मैं कलम न रूकने दूँगा
ठेस न पहुँचे दिलों को
वो शब्द न लिखने दूँगा
मैं दिलों को न बँटने दूँगा।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति