#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
Read Time2 Minute, 12 Second
पत्तों सी होती है,
रिश्तों की उम्र…!
आज हरे……कल सूखे।
क्यों न हम, जड़ों से सीखें,रिश्ते निभाना..!!
जो दिल की, बात सुनते है।
उन्ही के ह्रदय में, रिश्ते वास्ते है।
रिश्ते क्या होते है,
ये तो वो ही, समझते है।
जिनके अपने होते है।।
जमाना चाहे, कुछ भी कहे, उसे कहने दो।
पर सच तो यही है,
जो हकीकत से,
इतेफाक रखते है।
उन्ही के रिश्ते, जड़ो की तरह स्थिर होते है।।
रिश्ते बड़े ही अजीब होते है।
साथ ही बहुत, नाजुक भी होते है।
जो आपकी वाणी, पर निर्भर करते है।।
पेड़ की जड़े हवा पानी ,
और मौसम पर निर्भर करती है।
वैसे ही रिश्ते अपनो के,
स्नेह प्यार पर निर्भर होते है।
क्योकि रिश्ते तो रिश्ते होते है।।
जो अपनो को अपनो से,
उम्र भर, जड़ो की तरह
बंधे रखते है।।