जब चाँद मद्धम पड़ने लगे,
तहे दिल से जलने लगे..
पर-प्राणी प्रकाश देख,
प्रसन्न होने लगे..
समझिए,परिवेश में
सूर्य का उदय हुआ है।
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#मिट जाना है
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गर्व लिए बादल घुमड़ा था,
बादल में पानी गहरा था..
बिजली चमकी,बरसा पानी,
बरसा पानी बह जाता है..
कथा जनम-मरण की कह जाता है,
कह जाता है..
मत गरजो,
मिट जाना है।
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# नींद
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किसी रात गहरी नींद,
किसी रात अधकची..
किसी रात आधी नींद,
किसी रात सोते-जागते नींद..
यह नींद हर रात,
एक-सी कहाँ होती है..
यही तो जीवन है मेरे भाई,
यही ज़िन्दगी होती है।
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#हाथ का पानी
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हाथ पानी में,सागर के पानी में,
हो जाता है गीला जब..
तो आदमी पोंछ डालना चाहता है,
हाथ में लगे पानी को..
किसी साफ़ कपड़े से,
यदि धैर्य हो,विवेक हो..
तो थोड़ा ठहरिए,
देखिए..
गीले हुए हाथ का पानी,
सूख जाता है अपने आप..
हो जाते हैं मुक्त,
गीलेपन से दोनों हाथ।
#रवि रश्मि ‘अनुभूति’
परिचय : दिल्ली में जन्मी रवि रश्मि ‘अनुभूति’ ने एमए और बीएड की शिक्षा ली है तथा इंस्टीट्यूट आॅफ़ जर्नलिज्म(नई दिल्ली) सहित अंबाला छावनी से पत्रकारिता कोर्स भी किया है। आपको महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार,पं. दीनदयाल पुरस्कार,मेलवीन पुरस्कार,पत्र लेखिका पुरस्कार,श्रेष्ठ काव्य एवं निबंध लेखन हेतु उत्तर भारतीय सर्वोदय मंडल के अतिरिक्त भारत जैन महामंडल योगदान संघ द्वारा भी पुरस्कृत-सम्मानित किया गया है। संपादन-लेखन से आपका गहरा नाता है।१९७१-७२ में पत्रिका का संपादन किया तो,देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में गीत,ग़ज़ल,कविताएँ, नाटक,लेख,विचार और समीक्षा आदि निरंतर प्रकाशित होती रही हैं। आपने दूरदर्शन के लिए (निर्देशित नाटक ‘जागे बालक सारे’ का प्रसारण)भी कार्य किया है। इसी केन्द्र पर काव्य पाठ भी कर चुकी हैं। साक्षात्कार सहित रेडियो श्रीलंका के कार्यक्रमों में कहानी ‘चाँदनी जो रूठ गई, ‘कविताओं की कीमत’ और ‘मुस्कुराहटें'(प्रथम पुरस्कार) तथा अन्य लेखों का प्रसारण भी आपके नाम है। समस्तीपुर से ‘साहित्य शिरोमणि’ और प्रतापगढ़ से ‘साहित्य श्री’ की उपाधि भी मिली है। अमेरिकन बायोग्राफिकल इंस्टीट्यूट द्वारा ‘वुमन आॅफ़ दी इयर’ की भी उपाधि मिली है। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में प्राचीरों के पार तथा धुन प्रमुख है। आप गृहिणी के साथ ही अच्छी मंच संचालक और कई खेलों की बहुत अच्छी खिलाड़ी भी रही हैं।