…तो किनारा मुझे 

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krishnkumar nirav
कब्र से उठ के उसने पुकारा मुझे,
कुछ नहीं चाहिए अब तुम्हारा मुझे।
मुझको दरिया की कोई जरूरत नहीं,
छोड़ दो हो सके तो किनारा मुझे।
अपनी रक्षा में गर हाथ मेरा उठा,
दोष मत दीजिएगा दोबारा मुझे।
अन्न से भेंट दिनभर नहीं हो सकी,
ऐसा बाँधे रहा भाईचारा मुझे।
दौड़ते-दौड़ते जिंदगी थक गई,
कब मिलेगा भला हक हमारा मुझे।
आपका और मेरा तकाजा यही,
आप देते हो झटका करारा मुझे॥
                   #डॉ.कृष्ण कुमार तिवारी ‘नीरव’

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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