आखिर क्या दे पाओगे

0 0
Read Time1 Minute, 50 Second

pramod kumar

हर तरफ मचा है ये शोर कि  आज  है मेरा दिन,

सोचा मांग लूँ  कोई तोह्फा आज जो हो  थोडा  भिन्न,

बनावटी फूलों  से दुनिया क्या  तुम मेरी सजा पाओगे?

जन्म दिया  जिसने तुमको उसको तुम  क्या दे  पायोगे!

अपने वजूद की लड़ाई  लड़ रही मै माँ की  कोख से,

जंहा घेरे रहते हैं सौ सवाल मुझे  चारों ओर से,

कैसे  जिन्दा रख पाऊँगी  खुद को इस समाज में

मेरे  इन मौन प्रश्नों के उतर क्या तुम दे पाओगे?

जन्म दिया  जिसने तुमको उसको तुम  क्या दे  पायोगे!

सींचती हूँ  खून से धरा को तब फसल नई  उगाती हूँ,

सबको देकर  खुशबु खुद  मै काँटों में उलझी रह जाती हूँ,

मेरे  सफर  के दर्द को तुम क्या जान  पाओगे?

जन्म दिया  जिसने तुमको उसको तुम  क्या दे  पायोगे!

हर  घर में रावण है बैठा राम के भेष में यह मै  देख रही

छला हुआ महसूस आज खुद अपने को  ही देश में कर रही

अरे जाओ मेरे हिस्से का आसमान   तुम क्या  दे पाओगे?

जन्म दिया  जिसने तुमको उसको तुम  क्या दे  पायोगे!

रख लिया  मैने कदम चाँद पर और  जमीन  भी नाप ली,

और गहरे सागर की गहराई  आँखों से भांप ली ,

जाओ तुम मेरा कोई बड़ा  सम्मान न करो .

कंधे से कन्धा  मिला कर चलने का हक़ तुम क्या दे पाओगे?

जाने भी दो “हर्ष” तुम  नारों के सिवा  कुछ ना दे पाओगे!

#प्रमोद कुमार “हर्ष”

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

रे मनुज! 

Thu Mar 7 , 2019
पल-पल बीत रहा हर पल, धीरे-धीरे मौत आ रही पास | रह न जाये कोई अधूरी आस? बात कर, बंद मत कर बात, बुझ न सकेगी दिल की प्यास | जो बीती रात, फिर न आये रास || बुझा-बुझा सा मन और ये तन, हो रहा तू अब धीरे-धीरे उदास […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।