इक दीप

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आओ इस दीवाली एक दीप नया जलाए
समाज में व्याप्त बुराइयों को जलाकर भगाएं
इस बार हम मिट्टी के ही दीप जलाए
भारतीयता का परचम इस जग में लहराये
राम लला जब बुराई को हराकर घर पर आए
जब ही सब ने सुंदर सुसज्जित दीप सजाए थे।
इस बार कुम्हार से दीप ले हर जगह जलाएगें
हर घर में खुशियों के लिए लाखों दीप सजाएं।
इक दीप नारी के सम्मान के लिए भी जलाए ।
गौ माता की रक्षा के लिए सुंदर दीपमाला बनाए।
एक ऐसा दीप जलाए,जो सैनिकों का यश दसो दिशायो में गुंजाए।
जो वीर शहीदों का मान बढ़ाकर गुणगान कर जाए।
इक सुंदर सा दीप जलाकर किसानों का मान बढाएं
अन्नदाता पर इस त्योहार हजारों खुशियां न्योछावर हो जाए ।
इक दीप ऐसा हो जो शोले सा दहकता हो,
दुश्मन की आंखो मै खूब चुभता , चहकता हो।
इक दीपक का तेज अति निराला हो।
हर गरीब के तन पर कपड़े , मन में खुशियां ,
मुंह में निवाला हो।
सब पर मां लक्ष्मी की माया हो , कुबेर की छत्रछाया हो,
विघ्न हरने वाले हर घर में विघ्न विनायक हो।
आओ इस दीवाली दीवाली दीप नया…………..।
इक दीपक ऐसा जलाए गुरु के चरणों में शीश नवाए
ज्ञान का दीप नया जलाए।
आओ इक दीपक शिव के नाम का भी जलाए
शिव के धाम पर दीपमाला सजाएं, शिव के चरणों में नित नित शीश निवाए ।
अनिल कुमार मारवाल
हनुमानगढ़ (राजस्थान)

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