मैं नारी हूँ

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archana dube

मैं नारी हूँ, मै नारी हूँ
अत्याचारों पर मैं भारी हूँ
मैं अंत नहीं मैं हूँ अनंत
मैं जलती हुई चिंगारी हूँ
मैं नारी हूँ, मै नारी हूँ ।
आंगन की मुझे तुलसी न समझ
अस्तित्व को मेरे भंग न कर
मैं वो पावक परछाई हूँ
मैं रानी लक्ष्मीबाई हूँ
मैं बधी नहीं इन चूड़ियों में
बाधूंगी तुम्हे इन बेड़ियों में
भूली नहीं हूँ आसिफा कांड
एक एक पीड़ा को वसूलूंगी
मैं नारी हूँ, मै नारी हूँ ।
मुझको अबला नारी न समझ
दूर्गा की रूप सवारी है
मैं ही वह सावित्री हूँ
लड़कर यमराज से लिया प्राण दान
मैं दीया हूँ वो रोशनकर दूँ
मैं ज्वाला हूँ वो भस्म कर दूँ
मैं नहीं हूँ ठंडी नीर सी
मैं जलती हुई अंगारी हूँ
मैं नारी हूँ, मै नारी हूँ ।
भेड़ियाँ बने है जो मानव
नोचते है जो स्त्री इज्जत
ऐसे उस दुष्कर्मियों पर
मैं जलती हुई अंगारा हूँ
मैं वही द्रौपदी नारी हूँ
कौरव पर पड़ी जो भारी थी
दुशासन ने किया जब चीर हरण
मेरे कृष्ण सखा बनवारी है
मैं नारी हूँ, मै नारी हूँ ।
मुझमें शक्ति है परीक्षा की
जो किया था सीता माता ने
मै निश्चल हूँ मै पावन हूँ
धरती माँ की आवाह्न हूँ
मैं वही मामूली स्त्री हूँ
जिस गर्भ से जन्मे राम, कृष्ण
मैं ऐसे पुत्रों की माता हूँ
जो देश हित बलिदानी है
पायल की मुझे घुघरू ना समझ
तक्षक सी मैं फूंफकार हूँ
मैं नारी हूँ, मै नारी हूँ ।
रावण को भी था गुरूरबड़ा
छल से सीता अपनाने का
मैं उसी राम की सीता हूँ
क्षण में लंका को खाक किया
मैं छोटी सी चिंगारी हूँ
दुष्कर्मियों के लिए भारी हूँ
मैं नारी हूँ, मै नारी हूँ ।
मुझको ठंडा हीरा ना समझ
मै घिस के बनी तलवार हूँ
मैं राह की वो रेत नहीं
पत्थर की मजबूत मकान हूँ
मैं धाय माँ बनी वह पन्ना हूँ
जो पुत्र की अपने कुर्बानी दी
राणा की जान बचा करके
मुगलों के छक्के छुड़ाई थी
मैं नारी हूँ, मै नारी हूँ ।
मैं दहेज की वो पिटारी नहीं
जब चाहों चाभी लगाओगे
जब – जब चाहत उमड़ी धन की
तब – तब मुझे बलि चढ़ाओगे
मैं पावक के लपटों से सिकी
वह लोहे की हथियार हूँ
मैं नारी हूँ, मै नारी हूँ ।
मैं शोक की अब वह गीत नहीं
मैं तो वह भगवत गीता हूँ
जिसमें कर्मों की पूजा है
कोई देव नही वह दूजा है
उस कृष्णा की मैं राधा हूँ
राम की बनी सीता हूँ
शिव को पाने की सती हूँ मैं
मैं विष्णु संगिनी लक्ष्मी हूँ
श्रीकृष्ण के माथ की मोरनी हूँ
हनुमान की माँ भी अंजनी हूँ
मैं नारी हूँ, मै नारी हूँ
अत्याचारों पर मैं भारी हूँ ।

परिचय-

नाम  -डॉ. अर्चना दुबे

मुम्बई(महाराष्ट्र)

जन्म स्थान  –   जिला- जौनपुर (उत्तर प्रदेश)

शिक्षा –  एम.ए., पीएच-डी.

कार्यक्षेत्र  –  स्वच्छंद  लेखनकार्य

लेखन विधा  –  गीत, गज़ल, लेख, कहाँनी, लघुकथा, कविता, समीक्षा आदि विधा पर ।

कोई प्रकाशन  संग्रह / किताब  –  दो साझा काव्य संग्रह ।

रचना प्रकाशन  –  मेट्रो दिनांक हिंदी साप्ताहिक अखबार (मुम्बई ) से  मार्च 2018 से ( सह सम्पादक ) का कार्य ।

  • काव्य स्पंदन पत्रिका साप्ताहिक (दिल्ली) प्रति सप्ताह कविता, गज़ल प्रकाशित ।

  • कई हिंदी अखबार और पत्रिकाओं में लेख, कहाँनी, कविता, गज़ल, लघुकथा, समीक्षा प्रकाशित ।

  • दर्जनों से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रपत्र वाचन ।

  • अंर्तराष्ट्रीय पत्रिका में 4 लेख प्रकाशित ।

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