श्री श्री रवि आश्रम – बेंगालुरु यात्रा वृतांत

0 0
Read Time13 Minute, 54 Second

gulab

        सोलहवा ओल इंडिया कोन्फ़रन्स ऑफ़ ‘केंसर केर इंडिया’ की ओरसे आयोजित था | इसमें ‘रेस इन रेन’ट्रस्ट मुंबई की ओरसे सहभागी होने का अवसर मिला | आर्ट ऑफ़ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर बेंगालुरु श्री श्री रवि आश्रम में स्थित है | वहीँ सरस्वती होल में कोन्फ़रन्स का आयोजन हुआ था |

हम छह दिसम्बर २०१८ को शाम ५:३० बजे कार से एयरपोर्ट पहुंचे | वहाँ डॉ. अर्पणा शुक्ल अहमदाबाद से ओन्कोलोजी डॉ है, उसका इन्तजार किया गया, क्यूँ कि हमारी प्लेन की टिकट उनके साथ उन्होंने करवाया था | एक घंटा राह देखने पर भी उनकी भेट नहीं हुई | वो चेक इन कराकर प्लेन में अपनी सीट में बैठ गयी थी | हम भी चेक इन करा के प्लेन में पहुंचे वहाँ उनके साथ ही हमारा सिट था | वो बहुत गंभीर मुद्रा में नजर आई | हम ७ बजे प्लेन में सवार होकर विष्ट्रा की फ्लाईट में रात १० बजे बेंगालुरु एयरपोर्टपहुंचे | वहाँ से हम दोनों हायर कार से आश्रम रात १२ बजे पहुंचे, क्यूँ कि वहाँ से आश्रम की दुरी ६५ किमी थी | टेक्सी वालाने टोल टेक्ष भी हमसे पे करवाया |  वहाँ पहुँचकर १६०० रूपये का बील पकड़ा दिया | वैसे तो १२०० रुपये किराया होता है, लेकिन रात की वजह से और अनजान होने से उसने ज्यादा पैसे वसूल किये | वैसे भी एयरपोर्ट, रेल्वेस्टेशन और बस-अड्डे पर यात्री पहुँचते है तो, ये ऑटो और टेक्सी वाले दोगुने पैसे वसूल करने में माहिर होते है |

हम रिसेप्शन काउंटर पर पहुंचे, वहाँ हमें नयन करके आश्रम का वोलन्टीयर मिला | वो गुजराती होनेसे बहुत खुश हुआ | हमारा स्वागत किया गया | वहाँ से आईडेन्टी कार्ड दिए गए, जो गले टांगकर आश्रम में कहीं भी जा सकते है | शटल से हमें ‘बिसवा’ निवास्थान पहूँचाया गया | हमें कमरा दिया गया |हम लिफ्ट से कमरे में २१२ नम्बर में पहुंचे तो वहाँ पोखराज करके दिल्ली से आए हुए सरदारजी से भेट हुई | दुसरे दिन ७ दिसम्बर को हमें शटल से अन्नपूर्णा पहुँचाया गया | वहाँ सभी के लिए चाय नास्ते का प्रबंध किया गया था | ब्रेकफ़ास्ट करने के बाद हमें ‘सरस्वती कोन्फ़रन्स होल’ तक कार से पहुँचाया गया | वहाँ भारतवर्ष से आये हुए एन.जी.ओ.,वोलन्टीयर्स और केंसर के तजज्ञ आये हुए थे |

श्री श्री रविशंकर ने कोन्फ़रन्स का दीप जलाकर उद्घाटन किया | वहाँ तजज्ञों के द्वारा ‘केंसर केर’ के लिए काफी सारी जानकारी दी गयी | वहाँ हमें जामनगर गुजरात से आए हुए एन.जी.ओ. के डोक्टर और वोलन्टीयर से भेट हुई | हमने हमारे पास गुजराती में जो पेम्फलेट थे वो उनको दिये |          दुसरेदिन देशभर से आये हुए एन.जी.ओ.दीपशिखा ट्रस्ट, असम, केंसर केम्पेन, केंसर सोसायटी, भूटान, सहायता,  उम्मीदें, आई.सी.एल केंसर सहयोग, केन स्टोक, हितैसिनी, सी.ऍफ़.ऍफ़., विन ओवर केंसर, केन्युस्केन, इण्डिया चाइल्ड हुड केर सेंटर, एम.के.सी. ट्रस्ट रोको, जिसकी हेड ऑफिस लन्दन में है और पंजाब, मेघालय, नइ दिल्ली में उसकी शाखाएं काम कर रही है, इत्यादि ने अपनी अपनी कामगिरी का ब्योरा दिया | कुछ जानकारी भी दी गयी | ढाका, मलेसिया और केरल से भी एन.जी.ओ. के पदाधिकारी और वोलन्टीयर आये हुए थे, उन सभी ने अपनी अपनी बात रखी | अपना काम करने का तरीका बताया | अपने पास जो केंसर केर के लिए जो जानकारी थी, उसका वर्णन किया | इस कोन्फ़रन्स में हमने भी अपना योगदान दिया | स्टेज पर जाकर अपनी बात राखी | व्यसन मुक्ति और केंसर केर का जिक्र किया | हमारे ‘रेस इन रेन’ ट्रस्ट की सभी महिलाओं को हमने स्टेज पर आमंत्रित किया और हम सभी ने साथ साथ मिलकर हिंदी में ‘केंसर साथ लड़ेंगे हम, जीत हमारी होगी’ गीत गाया | होल में सभी लोग खुश हो गए | हमें संस्था की ओरसे एक प्रमानपत्र, बेग में श्री श्री आश्रम में बनी हुई मोश्चुराईझ क्रीम भेट की गयी | असम से आये हुए दीपशिखा  फाउंडेशन के प्रमुख देवासी ने बहुत अच्छी जानकारी दी | गुजरात से आये हुए डॉ. बी.डी.पटेल ने कार्यक्रम का संचालन किया था |

शाम को भोजन हॉटल वुडलेंड में दिया गया था, जो केम्पस में स्थित है | हम भोजन करने पहुंचे तो ओपन वुडलेंड हॉटल था | लाइटिंग भी की गयी थी | पंजाबी खाना था | बहुत सारेव्यजन बनाए गए थे | भोजन के बाद वहाँ, डी.जे. के ताल में हम हमारे ट्रस्ट की दिल्ली से आई हुई महिला वोलन्टीयर्स के साथ बहुत नाचे | बहुत मजा आया | अहमदाबाद, मुंबई और दिल्ली से आये हुए हमारे प्रमुख डॉ. रीटा बनिक, डॉ. अपर्णा शुक्ल, कश्मीरा, मुंबई और नोमिता, नॉएडा ने हमारे साथ बहुत अच्छा डांस किया |

आर्ट ऑफ़ लिविंग का मुख्य स्थान बेंगालुरु आश्रम में स्थित है | मेडिटेशन के लिए बहुत सुंदर लोटस टेम्पल है | यहाँ एक्झोटीक फ्लोरा, ग्रीनरी, स्पार्कलिंग फाउंटेन, लेक, लिली पोंड्स, वोटर फ़ोल और अर्थ पथ, वे मेडिटेशन के लिए बहुत अच्छा है | हर सप्ताह में रेसीडेंसीयल मेडिटेशन कोर्स का आयोजन होता है | जिससे शरीर स्वस्थ और मन प्रफुल्लित होता है |पंचकर्म सेंटर में आयुर्वेदिक थेरापी दी जाती है | ‘आई केर’ थेरापी भी दी जाती है | मसाज किया जाता है | नाडी परीक्षण किया जाता है | स्किन और हेर-केर की ट्रीटमेंट दी जाती है | थाईरोड और डिप्रेशन के लिए सात दिन का ‘वुमन्स केर’ प्रोग्राम चलता है | एंटी-स्ट्रेस कोर्स १४ दिन का होता है | स्पाइन केर के लिए ३ दिन का प्रोग्राम होता है | बेक पेईन के लिए ५ दिन का प्रोगाम है | घुटनों के लिए ६ दिन की ट्रीटमेंट दी जाती है | पाचनतंत्र के लिए ३ दिन की ट्रीटमेंट होती है | सौ से अधिक आयुर्वेदिक उपचार किफायती दाम में किया जाते है | यहाँ श्री श्री आयुर्वेदिक मल्टीस्पेशीयालिस्ट हॉस्पिटल है | वजन कम करने के लिए १५ दिन का वेटलोस पैकेज उपलब्ध है | आश्रम में फ्री सकूल भी है | यहाँ बिना फ़ीस बच्चों को पढाए जाते हैं | आर्ट ऑफ़ लिविंग की १५२ देशों में शाखाएं है |  रविशंकर जी पहले मेडिटेशन सिखाते थे | १९८२ से सुदर्शन क्रिया सिखाने की शुरुआत की | यूथ ड़ेवेलोपमेंट प्रोग्राम भी चलाया जाता है | साऊथ आफ्रिका की जेल में कार्यक्रम की शुरुआत की थी | २०१५ में त्सूनामी के दौरान साऊथ एशिया में आश्रम की ओरसे मदद की गयी थी |

उतराखण्ड और बिहार में पूर की आपत्ति में आश्रम की ओरसे मदद की गयी थी | रविशंकर आतंकवादियों से भी मिले थे | मेडिटेशन पध्धति अमेरिका में ज्यादा सफल रही है | सेवा का मुख्य उदेश्य है | २०१४ में इराक की मुलाकात श्री श्री ने ली थी | उन्हें साऊथ अफ्रीका और सेंट्रल अमेरिका में सम्मान मिला था | इंदिरा गाँधी ने रविशंकर जी को पद्म विभूषण एवोर्ड से नवाजा था | इसतरह आर्ट ऑफ़ लिविंग देश का बहुत महत्व का स्थान है | दुनियाभर में आश्रम प्रसिध्ध है |  आर्ट ऑफ़ लिविंग लोगों को स्वस्थ और सुखी जीवन प्रदान करता है | श्री रवि का जीवन सादगी और सरल है | वो हंमेशा सफेद वस्त्रों में दिखाई देते है |

९ दिसम्बर २०१८ को कार्यक्रम पूरा हुआ | शाम ७ बजे हमारा प्लेन था |  हम नोमिता, श्रीमति कटियार, दिल्ली से और कश्मीरा, मुंबई के साथ कार से एयरपोर्ट पहुंचे | वहाँ हम एंट्री लेने गए, तब हमारा टिकट मिल नहीं रहा था | मोबाईल में भी सर्च किया लेकिन उपलब्ध नहीं हुआ | हमने हमारे साथी डॉ. अपर्णा को फोन किया, लेकिन उनका नेट नहीं चल रहा था | टिकट मोबाईल से हमें सेंड करना मुश्किल था | हमने तीन बार हमारा बेग चेक किया, फिरभी टिकट मील नहीं रहा था | अंत में हमने एक पीले कलर के पोलीथिन बेग में देखा, तो हमारा टिकट सलामत था | हम चेक इन कराके एयरपोर्ट में पहुंचे | ‘गो’ फ्लाईट १५ नम्बर से उड़ान करने वाली थी, वहाँ पहुंचे | प्लेन पूरा खिचो-खीच भरा हुआ था | हम रात १० बजे अहमदाबाद सरदार पटेल एयरपोर्ट पहुंचे | हम एयर पोर्ट से बाहर निकलकर ऑटो से इंदिरा ब्रिज पहुंचे | वहाँ से गांधीनगर के लिए ऑटो पकड़ ली | हमें शादी में जाना था, लेकिन हम शादीमें भजन के लिए नहीं गये | घर ही भोजन करके आराम किया | बेगालुरु बहुत सुंदर शहर है | हमें बहुत अच्छा लगा | हम शहर में समय के अभाव घूम न सके, लेकिन आश्रम में लोटस टेम्पल देखा,यज्ञ शाला देखी, चारों और हरियाली थी | आश्रम एकदम साफ़-सुथरा था | रंग-बिरंगी फूलों से सजे पेड़ पौधे बहुत थे | हमने मेडिटेशन सेंटर में जाकर मेडिटेशन की जानकारी ली और मेडिटेशन भी किया |

आप भी एकबार आर्ट ऑफ़ लिविंग की मुलाकात अवश्य ले, ऐसी उम्मीद है |

#गुलाबचन्द पटेल

परिचय : गांधी नगर निवासी गुलाबचन्द पटेल की पहचान कवि,लेखक और अनुवादक के साथ ही गुजरात में नशा मुक्ति अभियान के प्रणेता की भी है। हरि कृपा काव्य संग्रह हिन्दी और गुजराती भाषा में प्रकाशित हुआ है तो,’मौत का मुकाबला’ अनुवादित किया है। आपकी कहानियाँ अनुवादित होने के साथ ही प्रकाशन की प्रक्रिया में है। हिन्दी साहित्य सम्मेलन(प्रयाग)की ओर से हिन्दी साहित्य सम्मेलन में मुंबई,नागपुर और शिलांग में आलेख प्रस्तुत किया है। आपने शिक्षा का माध्यम मातृभाषा एवं राष्ट्रीय विकास में हिन्दी साहित्य की भूमिका विषय पर आलेख भी प्रस्तुत किया है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय(दिल्ली)द्वारा आयोजित हिन्दी नव लेखक शिविरों में दार्जिलिंग,पुणे,केरल,हरिद्वार और हैदराबाद में हिस्सा लिया है। हिन्दी के साथ ही आपका गुजराती लेखन भी जारी है। नशा मुक्ति अभियान के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी दवारा भी आपको सम्मानित किया जा चुका है तो,गुजरात की राज्यपाल डॉ. कमला बेनीवाल ने ‘धरती रत्न’ सम्मान दिया है। गुजराती में ‘चलो व्‍यसन मुक्‍त स्कूल एवं कॉलेज का निर्माण करें’ सहित व्‍यसन मुक्ति के लिए काफी लिखा है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

जीओ कुछ ऐसे 

Wed Dec 26 , 2018
किसी के कहने से, बुरा किसी का हो नहीं सकता / की जब तक तुम्हारे, पुण्य कर्मो का उदय है लोगो / तुम्हे कोई कष्ट, कभी भी दे नहीं सकता / इसलिए तो कहते है, की धर्म सदा ही तुम करो // लिखा है जो, तुम्हारी किस्मत में / वो […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।