फिल्मो में बढ़ता VFX  का चलन

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भाग –2………………
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*दोस्तो  VFX का हिंदी प्रचलित कोई लब्ज़ नही मिलने और यही लब्ज़ प्रचलित होने के कारण अंग्रेजी भाषा से ले लिया*
 दोस्तो VFX का प्रभाव और इस्तेमाल फिल्मो की आनिवार्यता बनते जा रहा है
आज पिछली चर्चा को आगे बढ़ाता हूँ,
हॉलीवुड तो बेइंतेहा आगे सफर कर रहा है VFX के मामले में, हम यानी भारतीय सिनेमा हॉलीवुड सिनेमा से न केवल प्रभावित है वरन उसकी अनुकरण यानी कॉपी को शान समझता है, क्योकि हॉलीवुड की फिल्मों में जो माइल स्टोन स्थापित किया है वह अतुलनीय के साथ प्रसंशात्मक भी है
तो हमारा अनुकरण करना बनता भी है, खैर
आज आगे चर्चा होगी उन चुनिंदा भारतीय फिल्मों की जिसमे कमाल, लाजवाब,शानदार VFX का प्रयोग किया गया है,, भारतीय सिनेमा के परिचलन में,,,,
मैंने भारतीय फिल्मों में बॉलीवुड(मुम्बइया) और टॉलीवुड (दक्षिण सिनेमा, तमिल-तेलगू) दोनो को शामिल किया है क्योंकि दक्षिण सिनेमा भी समृद्ध,स्तरीय, उन्नत हो चला है| उधर के कलाकारों ने न केवल खुद को स्थापित किया बल्कि विश्वव्यापी देश को ख्याति भी दिलाई है|
चुनिंदा भारतीय फिल्मों की फेहरिस्त,,
हॉलीवुड को शामिल न करने का कारण यह तकनीक उनके लिए नई नही है, उनकी फिल्म टाइटेनिक, अवतार से हम कोसो पीछे खड़े है
फैन :- 2016 में शाहरुख स्टारर फ़िल्म में शाहरुख के डबल रोल था जिसमे स्टार का फैन भी शक्लो सूरत से स्टार से मिलता जुलता दिखता है,  पहली बार चेहरे  पर VFX का काम भारत मे इसी फिल्म में किया गया था भारत मे|
बाहुबली 1- देश मे शायद ही कोई शख्स हो जो इस फ़िल्म से वाकिफ न हो , फ़िल्म में कमाल के VFX और CGI का काम हुवा जो कि मुकुता आर्ट्स ने किया था, इस फ़िल्म के तकनीकी कलाकारों को न केवल देश मे विदेशो में भी फिल्मे ऑफर हुई
बाहुबली 2
पहली फ़िल्म की सफलता ने दूसरी की जवाबदेही और बड़ा दी थी, दर्शको की उम्मीदे बढ़ना स्वभाविक था,
फ़िल्म इसमे कामयाब भी हुई
फ़िल्म में विहंगम, अविश्वसनीय, अविस्मरणीय, अचंभित कर देने वाला VFX का काम था,जिसे दर्शको का प्यार के साथ सम्मान भी मिला, मुकुता आर्ट्स कम्पनी ने काम किया था,
यदि मैं कहूँ कि भारत मे VFX को लेकर यह फ़िल्म ने नया रास्ता तय करते हुवे मंज़िल पर पहुची है तो गलत नही होगा,,
रॉवन :-2011 में शाहरुख
की ही फ़िल्म जो कि रोबोट और वीडियोगेम पर आधारित थी तो इसमें तो VFX का काम होना लाजमी था, वेसे फ़िल्म का VFX सबसे बेहतर तो नही था लेकिन इस तरह के विषय पर यह पहली भारतीय फिल्म मानी जाकर हॉलीवुड की राह में एक बड़ी शुरूआत तो मान ही सकते है,  फ़िल्म में रेड चिली कम्पनी जो कि शाहरुख की ही है, ने ही VFX का काम किया था,
24:- तमिल फिल्म 2016 में आई थी, सूर्या स्टारर, जिसमे हीरो के पास एक घड़ी होती है जिसकी इस्तेमाल से वह वर्तमान समय से भूत काल और भविष्य में पहुच सकता है जिसे अंग्रेजी में टाइम ट्रेवल(समय यात्रा) कर सकने में सक्षम हो जाता है, इस फ़िल्म में वह जब भी समय यात्रा करता है तो वर्तमान समय रूक या थम (फ्रीज) हो जाता है तो इस दृश्य की खूबसूरती देखते ही बनती है
समय बाधित दृश्यावली का ऐसा चित्रण आजतक भारत मे नही हुवा, जो कि अनूठा होने के साथ बेमिसाल था| इसी वजह से इस फ़िल्म को फेहरिस्त में जगह मिली है,,
164 मिनट की विक्रम कुमार निर्देशित फिल्म को कई सम्मान से भी नवाजा गया था,
टिक टिक टिक:- विज्ञान आधारित अंतरिक्ष तमिल फ़िल्म है, जिसमे भारत में पहली बार अंतरिक्ष के दृश्यो का फिल्मांकन किया गया जो कि अपने आप मे सराहनीय प्रयास था, यही वजह इसकी फेहरिस्त में शामिल होने की बनी,, फ़िल्म में अंतरिक्ष दृश्यो ने दिल जीत कर खुद को साबित किया,,
क्रीश सीरीज :- ऋतिक स्टारर इस फ़िल्म सीरीज से कोई अनजान नही क्योकि इस सीरीज ने भारत को एकमात्र सुपर हीरो दिया है, सुपर हीरो का उड़ना, लड़ना, स्टंट, VFX से ही सम्भव हो पाया था,
धूम सीरीज :-  इस सीरीज में तीसरी फिल्म का जिक्र ज़रूरी है, जिसमे अमिर खान के जुड़वा होने के कुछ दृश्य, बाइक को  पीछा करने के दृश्य, फ़िल्म के अंत मे हीरो का अपने हमशक्ल भाई का हाथ पकड़ कर बांध पर लटकना भारत मे पहली बार उन्नत VFX की मदद से बनाए गए थे जो कि लाजवाब थे|
रोबोट सीरीज :- क्योकि निर्देशक शंकर ने इस फ़िल्म के तीसरे भाग का संदेश पिछली फिल्म में छोड़ दिया तो इस फ़िल्म को भी सीरीज माना जाए, फ़िल्म में रोबोट के हैरतअंगेज बदलाव VFX निश्चित ही इस फ़िल्म को फेहरिस्त में जगह देती है,
शिवाय :- अजय देवगन निर्माण कम्पनी, निर्देशित फिल्म जिसमे हीरो को हिमालय पर्वत का पर्वतारोही दिखाया गया था, जिसमे हीरो का बर्फ के गगनचुम्बी बर्फीले पहाड़ो पर कूदते,लटकते, चढ़ते दिखाया गया जो सामान्य स्तिथि में फिल्मांकन लगभग असंभव था, तो इस फ़िल्म को अंजाम दिया गया प्राइम फोकस डिजिटल कम्पनी द्वारा VFX से, फ़िल्म बड़ी कामयाबी यो नही हो पाई लेकिन इस तरह का काम  पहली बार ही हुवा देश मे, फ़िल्म को 3 सम्मान भी प्राप्त हुवे,
I (आई):- तमिल फिल्म निर्देशित शंकर,  I (आई), जिसमे किसी इंसान के चेहरे को कितना बिगाड़ा या कुरूप बनाया जा सकता है, फ़िल्म में हीरो के चेहरे पर कम्प्यूटर संचालित सेंसर लगाए जाते है फिर उन सेंसर की मदद से VFX को अंतिम रूप देकर दृश्य फिल्मांकन किया गया था जो कि भारत मे नई तकनीक थी |
दोस्तो मेरी फेहरिस्त में कुछ चुनिंदा फिल्मे ही रखी है
हो सकता है मैं कुछ फिल्मे भूल रहा हूँ, जितनी फिल्मे मैं देश पाया उनका जिक्र कर लिया
आपके सुझाव का स्वागत रहेगा
निष्कर्ष में मैं यह बोल सकता हूँ कि पहले भारतीय फिल्मों में VFX को लेकर कोई पूर्व नियोजित बजट नही होता था, लेकिन अब पूर्व नियोजित होकर बजट भी बनाया जाता है,,
अंत मे इतना ही कहूंगा कि किसी भी निर्देशक की रचनाधर्मिता जिसे सामान्य रूप से फिल्मांकन असम्भव हो उसे VFX की मदद से बना कर दर्शको तक पहुचाया जाता है

#इदरीस खत्री

परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं| इनका परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।