“गुलाब”

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minakshi vashishth
ये सुर्ख़ गुलाब
सदा से रहा सबका चहेता
सभी का पसंदीदा
देवी देवताओं का
प्रेमी प्रेमिकाओं का
यही करता आया है
प्यार का इजहार
सदियों से … !
शायद इसकी सुर्ख रंगत
बढ़ा देती है
आपके प्रेम की कीमत,,
यही रिझाता आया है
देवी देवताओं को
क्या इससे भक्ति और गाढ़ी हो जाती है .. ?
या थोड़ी और पवित्र..?
…. और ये सफेद मोगरा,
ये तो बहुत ही इठलाता है
अपने रुप -रंग पर
अपनी सुगंध पर
वो जानता है
उसकी महक
बहका देती है लोगों को
महका देता है घर आंगन अकेले ही
कभी महकता है सुंदरी के गजरों में
कभी देवमालाओं में
और गर्वित होता है
अपने महत्त्व पर
रजनीगंधा, डहेलिया
गेंदा गुलदाऊदी
खिलते है गुलदानों में
सजाये जाते है स्वागत में
मगर ये पीले फूल कीकर के
बिखर जाते हैं खुले मैदानों में
रास्तों में बेतरतीव
गुलाब, मोगरा, मोतिया
रजनीगंधा और डहेलिया
ये पसंद हैं सभ्य शिक्षित ,सम्पन्न और गरीबों की भी
मगर अवांक्षित फूल कीकर के
यूं ही बह जाते हैं
हवा की दिशाओं में
जहां तहां बिखरे हुऐ
सहेजे रखते हैं
अपनी ताजगी
अपनी मुस्कान
माला, गजरों ,गुलदस्तों तक
पहुंच नही होती इनकी
ये तो बस बिछ जाते हैं
राहगीरों के पाँव तले
जो थके पाँव
इन फूलों की नरमी पाते हैं
हाँ वही पाँव
कतराते हैं इन महत्त्वहीनों को
महत्त्व देने में……!

#मीनाक्षी वशिष्ठ
नाम->मीनाक्षी वशिष्ठ
 
जन्म स्थान ->भरतपुर (राजस्थान )
वर्तमान निवासी टूंडला (फिरोजाबाद)
शिक्षा->बी.ए,एम.ए(अर्थशास्त्र) बी.एड
विधा-गद्य ,गीत ,प्रयोगवादी कविता आदि ।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।