कर्त्तव्य बोध

0 0
Read Time1 Minute, 20 Second
ashok kumar dhoriya
हलकू हर किसी काम को दरकिनार करता रहता था।वह केवल अपने अधिकार के बारे जानता था। कर्त्तव्य की बात आते ही वह पूरा वकील बन जाता था।
               एक बार गाँव में आधार कार्ड बनाने वाले आ गए।आधार कार्ड निःशुल्क बनाए जा रहे थे। हलकू ने वहाँ जाकर देखा तो दस पन्द्रह लोगों की लाइन लगी थी। लाइन को देखकर वह बोला-“इतना लंबा इंतज़ार कौन करेगा? किसी को वोट की जरूरत होगी तो अपने आप बनवाएगा।” ऐसा कहकर वह तास खेलने चला जाता है।
                     जब सरकार ने प्रत्येक सरकारी योजना के लिएआधार कार्ड अनिवार्य कर दिया तब हलकू ने दौड़ धूप शुरू की। बाद में आधार कार्ड बनवाने के लिए हलकू ने फीस भी देनी पड़ी और काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
                  इस लघुकथा से यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने अधिकारों के साथ साथ अपने कर्त्तव्यों का भी ईमानदारी से पालन करना चाहिए।
परिचय:-
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(झज्जर)
हरियाणा

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

लग दई दीमक...

Sat Nov 24 , 2018
लग गई दीमक देखो इंसान की फसल में बदल गया है आदमी कितना बस आजकल में दिल पसीजता नहीं, शहादत देखकर भी जज़्बात कैसे बने है पत्थर, बस आजकल में सुना था मयस्सर है सुकूँ, दरख़्तों की छाँव में माँ-बाप हो रहे है बेघर, बस आजकल में रहमदिली, ख़ुदाई, अपनापन, […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।