दिन आये मेरे यार चुनावों के|
चर्चे होंगे दिन रात हिसाबों के||
कोई कर्जा माफ़ करेगा,
कोई गलियां साफ करेगा|
वोटों के बदले में कोई,
तेरी जेबें खूब भरेगा||
कोई मारे रोज बांग दुआरे पे|
दिन आये मेरे यार चुनावों के||
दिन आये मेरे यार चुनावों के|
चर्चे होंगे दिन रात हिसाबों के||
कोई तिलक जनेऊ धारे,
कोई पांच नमाज उचारे|
दलित अछूत कहाए कोई,
दीन हीन सभी को तारे||
कोई लाये तेरी नाव किनारे पे|
दिन आये मेरे यार चुनावों के||
दिन आये मेरे यार चुनावों के|
चर्चे होंगे दिन रात हिसाबों के||
कोई तो इतिहास पढ़ेगा,
कोई नया भविष्य रचेगा|
आलू से सोने की कोई,
नई मशीन ईजाद करेगा||
कोई बेचेगा फिर चाय दुकानों पे|
दिन आये मेरे यार चुनावों के||
दिन आये मेरे यार चुनावों के|
चर्चे होंगे दिन रात हिसाबों के||
#मनोज कुमार “मंजू”
मैनपुरी (उत्तरप्रदेश)