*जो मना किया था वही किया…आज भी करेंगे!* 

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aadil
 *बात पिछली रात की*

 जिससे मुहब्बत की जाती है उसे वही तोहफ़ा दिया जाता है जो उसे सबसे ज्यादा पसंद हो, लेकिन कल रात अजीब आशिकों को देखा जो दावा तो मुहब्बत का करते हैं, लेकिन जिससे प्यार करते हैं, उनकी मर्जी के खिलाफ काम करके खूब जश्न मनाते रहे।                पैग़म्बर सल्लाहो अलैहिव सल्लम ने मुसलमानों  को कहा है कि वो रात को ईशा की नमाज़ के बाद घरों से न निकलें, कोई ऐसा काम न करें जिससे लोगों को तक़लीफ़ हो, रास्तों पर अड़चन न हो कि राहगीर परेशान हों,बाज़ार सिर्फ जरूरत के लिए ही जाएं, फ़िज़ूल में न घूमें, फ़िज़ूल खर्च न करें, संगीत और शोर-शराबे से दूर रहें, अपनी जरूरत से बचे धन को गरीबों में बाटें, जश्न सादगी से  मनाएं और रात में इबादत करें।  दुनिया को ऐसी सादगी का सबक देने वाले पैग़म्बर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम की सालगिरह का जश्न कल रात धूम-धड़ाके से शुरू हुआ!                                                                                  कल बम्बई बाजार की सजावट को देखकर तो लगा ही नहीं कि ये     पैग़मम्बर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम को मानने वाले हैं कि एक तरफ तो बाजार सजा था, भीड़ की रेलमपेल थी और मस्जिदें खालीं थीं, मुंबई बाजार और उदयपुरा की मस्जिदों में गिनती के लोग इन आँखों ने खुद देखें है जब के शरीर को सिकुड़ कर भीड़ से रास्ता बनाने की कोशिश कर रहा था। जवाहरमार्ग पर भी ट्रैफिक बेहाल था और शोरगुल से बुजुर्ग और बीमार परेशान हो रहे थे और मुहब्बत का दावा करने वाले लोग वही काम करके सालगिरह की खुशियां मना रहे थे जिससे मना किया गया है।                                                                                  सिर्फ बम्बई बाज़ार का ही ये हाल नहीं था, कि वहाँ फूलबंगला सजा था, बाकी मुस्लिम इलाकों में भी बाज़ारों     में रेलमपेल थी और मस्जिदे खाली! हां, कुछ मस्जि  दों में इबादत हो रहीं थीं, तक़रीर हो रहीं थी लेकिन इस तक़रीर यानी व्याख्यान में भी काम की कितने बात हो रही थी ये अहम सवाल है, जिसको छेड़ना बर्रे के छत्ते में हाथ डालना है कि इन बोलने वालों के सामने कोई कुछ नहीं ! एक ग्रीन पार्क कॉलोनी में सजे एक मंच से तो वो बात सुनने को मिली जिसके खिलाफ ही पैग़म्बर सल्लाहो अलैहि व सल्लम ने पूरी जिंदगी जद्दोजहद की।              जब बड़ों का ये हाल है तो छोटे तो सुब्हान अल्लाह!  बच्चों को तो जैसे कल रात आज़ादी मिल गई! रात जगने के नाम पर उन्होंने सड़कों पर खूब उधम मचाया, मोटर सायकिल और साइकिल दौड़ाई,  जोर-जोर में कानफोड़ू संगीत से भरी कव्वाली बजाई और लोगों की नींद हराम की।  हालांकि अब थोड़ा सुधार आया है, बच्चे पहले जैसी मस्ती नहीं करते, टायर नहीं जलाते, लोगों की गाड़ियों की हवा भी शायद ही किसी मुहल्ले में निकली गई हो, अलबत्ता सड़कें खूब नापीं और खुद के साथ ही दूसरों की जान भी आफत में डाली की सड़क हादसा ही जाए तो जिम्मेदार कौन।                                                                                           जो जिम्मेदार हैं उन्होंने तो मुहब्बत के जश्न के नाम पर सब छूट दे रखी थी लेकिन पुलिस क्या करती है वो रात में धमाचौकड़ी मचाने वाले इन नाबालिकों का चालान क्यों नहीं काटती!                                     चलों पुलिस छूट देती है तो देने दो लेकिन मां-बाप क्यों नहीं रोकते, ये वहीं माँ-बाप हैं जो हर जगह गरीबी का रोना रोते हैं और सरकार के हाथ फैलाएं खड़ें रहते हैं सवाल है कि उनके पास फ़िज़ूल मैं जलाने के लिए इतना पेट्रोल आया कहां से। रातभर होटलों में भीड़ लगाने वालों के हाथ स्कूल-ट्यूशन की फीस और किताबों के लिए हमेशा खाली रहते हैं, नए कपड़ों से लड़े इन लोगों को देखकर नहीं लगता कि ये सादगी पसन्द पैग़म्बर सल्लाहो अलैहि व सल्लम के मानने वाले हैं।  यही मानने वाले आज डीजे-जुलूस के जरिए जश्न ईद मिलादुन्नबी मनाएंगे और अपने ही पैग़म्बर की तालीम के ख़िलाफ़ काम करके अपनी मुहब्बत का सबूत देंगे..! जो असल में पैरोकार हैं वो इबादत करेंगे और गरीबों को खाना खिलाएंगे, उसकी मदद करेंगे….वो गरीब चाहे किसी भी मज़हब का हो!

#आदिल सईद

परिचय : आदिल सईद पत्रकारिता में एक दशक से लगातार सक्रिय हैं और सामाजिक मुद्दों पर इन्दौर से प्रकाशित साँध्य दैनिक पत्र में अच्छी कलम चलाते हैं। एमए,एलएलबी सहित बीजे और एमजे तक शिक्षित आदिल सईद कला समीक्षक के तौर पर जाने जाते हैं। आप मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इन्दौर में रहते हैं।

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