जयपुर डायरी  (भाग 1)

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पिछले 15 एवं 16 जनवरी को जयपुर में आयोजित हुए iceteas (आइसटीज) का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन कई मायनों में महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ…इस जयपुर यात्रा के कई रंग हैं और इससे जुड़ी कई खूबसूरत यादें भी हैं जिन्हें बारी बारी से आप सबों के साथ साझा करूंगा…
शुरुआत पटना से करता हूँ…

14 जनवरी को शुरूआती सफर में ही कुछ ऐसी विभूतियों से दर्शन भेंट का संयोग बना कि पूरा सफर उस आभा से रौशन होता रहा…

श्रद्धेय ज्ञानी पिंदरपाल सिंह जी सिख समाज के जाने माने कथा वाचक हैं। वाणी में अमृत घोलते हुए पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब के पाठों पर चर्चा करते हैं।
इनके शब्द… इनका जीवन दर्शन… सबकुछ अद्भुत होता है। सुबह Ptc Punjabi पर इनके प्रवचन का गोल्डेन टेंपल से सीधा प्रसारण होता है… सिख समाज में इन्हें बहुत सम्मानजनक स्थान हासिल है।

इस बार वे गुरु गोविंद सिंह जी के 352वें प्रकाश पर्व पर पटना साहिब पधारे तो वापसी के दौरान पटना हवाईअड्डे पर उनसे मुलाकात हो गई…वे अमृतसर की यात्रा पर थे और मैं जयपुर की यात्रा पर … दिल्ली तक हमारा सफर साथ था एक ही फ्लाइट में… अमृतसर के एक मित्र ने उनसे मेरा परिचय करा दिया…फिर क्या था…ऐसे मिले जैसे बरसों पुरानी पहचान हो…

संतों का एक पूरा जत्था उनके साथ था। सभी भाव विभोर होकर बिहार सरकार की उत्तम व्यवस्था और बिहारवासियों से मिले प्रेम और सम्मान का गुणगान कर रहे थे…कई धर्मानुरागियों ने बताया कि वे हर साल इस मौके पर पटना साहिब में मत्था टेकने आते हैं…दो साल पहले माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी द्वारा 350वें प्रकाश पर्व के आयोजन को सभी ऐतिहासिक कदम मानते हैं…

बिहार की मिट्टी पर आकर सिख संतों द्वारा हृदय से दी गई दुआएं एक उज्जवल बिहार के निर्माण का संकेत देती हुई प्रतीत हुईं…

‘अतिथि देवो भव’ की हमारी यह संस्कृति हमें बार बार गौरवान्वित होने का अवसर दे जाती है…

श्रद्धेय पिंदरपाल सिंह जी के साथ यह मुलाकात मेरी स्मृतियों में हमेशा जीवंत रहेगी…
उनके ज्ञान, उनकी वाणी और उनके महान व्यक्तित्व को शत शत नमन…

#डॉ. स्वयंभू शलभ

परिचय : डॉ. स्वयंभू शलभ का निवास बिहार राज्य के रक्सौल शहर में हैl आपकी जन्मतिथि-२ नवम्बर १९६३ तथा जन्म स्थान-रक्सौल (बिहार)है l शिक्षा एमएससी(फिजिक्स) तथा पीएच-डी. है l कार्यक्षेत्र-प्राध्यापक (भौतिक विज्ञान) हैं l शहर-रक्सौल राज्य-बिहार है l सामाजिक क्षेत्र में भारत नेपाल के इस सीमा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए कई मुद्दे सरकार के सामने रखे,जिन पर प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री कार्यालय सहित विभिन्न मंत्रालयों ने संज्ञान लिया,संबंधित विभागों ने आवश्यक कदम उठाए हैं। आपकी विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,कहानी,लेख और संस्मरण है। ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं l ‘प्राणों के साज पर’, ‘अंतर्बोध’, ‘श्रृंखला के खंड’ (कविता संग्रह) एवं ‘अनुभूति दंश’ (गजल संग्रह) प्रकाशित तथा ‘डॉ.हरिवंशराय बच्चन के 38 पत्र डॉ. शलभ के नाम’ (पत्र संग्रह) एवं ‘कोई एक आशियां’ (कहानी संग्रह) प्रकाशनाधीन हैं l कुछ पत्रिकाओं का संपादन भी किया है l भूटान में अखिल भारतीय ब्याहुत महासभा के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञान और साहित्य की उपलब्धियों के लिए सम्मानित किए गए हैं। वार्षिक पत्रिका के प्रधान संपादक के रूप में उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए दिसम्बर में जगतगुरु वामाचार्य‘पीठाधीश पुरस्कार’ और सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अखिल भारतीय वियाहुत कलवार महासभा द्वारा भी सम्मानित किए गए हैं तो नेपाल में दीर्घ सेवा पदक से भी सम्मानित हुए हैं l साहित्य के प्रभाव से सामाजिक परिवर्तन की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-जीवन का अध्ययन है। यह जिंदगी के दर्द,कड़वाहट और विषमताओं को समझने के साथ प्रेम,सौंदर्य और संवेदना है वहां तक पहुंचने का एक जरिया है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।