चाह है तेरे लिए

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bharat malhotra
चाह है तेरे लिए कोई गीत गाऊँ
शब्दों से पाषाण में स्पंदन जगाऊँ
मौन के भी कंठ में जो स्वर जगा दे
अद्भुत, आलौकिक सुर कोई ऐसा सजाऊँ
भूमि के उर तप्त को कर दे जो शीतल
व्योम की किसी अप्सरा की भाँति चंचल
धवल, पावन चंद्रिका सा रूप अतुलित
जो बढ़ाए मिलन की उत्कंठा प्रतिपल
कपोल-कल्पित विश्व में करके मैं विचरण
मंद-मंद मन ही मन में मुस्कुराऊँ
मौन के भी कंठ में जो स्वर जगा दे
अद्भुत, आलौकिक सुर कोई ऐसा सजाऊँ
किसी दुल्हन सा दिव्य श्रृंगार करके
आई हो तुम नयनों में अभिसार भरके
ऐसे चल दी पल दो पल मेरे पास रूककर
समय की मुष्टि से जैसे रेत सरके
प्राप्त हो जाए यदि सहचर्य तेरा
प्रत्येक रात्रि को मैं दीपोत्सव मनाऊँ
मौन के भी कंठ में जो स्वर जगा दे
अद्भुत, आलौकिक सुर कोई ऐसा सजाऊँ
दृगों को मेरे प्रणय-रश्मि कब रंगेगी
युग-युगांतर की प्रतीक्षा कब फलेगी
मर्त्य में आभास दे जो शाश्वत का
ऐसी मलयानिल न जाने कब चलेगी
तेरे मन-मंथन से उपजे सुधा-रस का
पान करके मैं चिरंजीवी कहाऊँ
मौन के भी कंठ में जो स्वर जगा दे
अद्भुत, आलौकिक सुर कोई ऐसा सजाऊँ

भरत मल्होत्रा

परिचय :- 
नाम- भरत मल्होत्रा 
मुंबई(महाराष्ट्र)
शैक्षणिक योग्यता – स्नातक 
वर्तमान व्यवसाय – व्यवसायी 
साहित्यिक उपलब्धियां – देश व विदेश(कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान – ग्वालियर साहित्य कला परिषद् द्वारा “दीपशिखा सम्मान”, “शब्द कलश सम्मान”, “काव्य साहित्य सरताज”, “संपादक शिरोमणि”  
झांसी से प्रकाशित “जय विजय” पत्रिका द्वारा ” उत्कृष्ट साहितय सेवा रचनाकार” सम्मान एव 
दिल्ली के भाषा सहोदरी द्वारा सम्मानित, दिल्ली के कवि हम-तुम टीम द्वारा ” शब्द अनुराग सम्मान” व ” शब्द गंगा सम्मान” द्वारा सम्मानित  
प्रकाशित पुस्तकें- सहोदरी सोपान 
                         दीपशिखा 
                         शब्दकलश 
                         शब्द अनुराग 
                         शब्द गंगा 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।