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आज मैंने
आईने को तब
फूट-फूट कर
रोते देखा
जब सब उसे
झूठा ठहरा रहे थे।
उसने कहा
मुझे प्रतिबिंब ही तो
दिखाना है।
जब लोग
अपने चेहरे पर
परत दर परत
झूठ चढ़ा लेते हैं
तो खुद को
पहचान
पाते हैं क्या?
अर्द्धेन्दु भूषण
इन्दौर, मध्यप्रदेश
लेखक वर्तमान में दैनिक प्रजातंन्त्र के सम्पादक और स्तम्भकार है।
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