स्वतंत्र सृजन 

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niraj tyagi
( 01 ) -स्वतंत्र सृजन
           विधा – हाईकु
           विषय : मंजिल
            मंजिल पास
            फिर क्यों ना पाओ
            मन हैरान।
           करू प्रयास
           कदम तेज चले
           मंजिल छले।
            मजबूत मन
            फिर क्या उलझन
            नही समझा।
             धर्य बहुत
             करू फिर कोशिश
             चलता चलू।
             होश में आया
             फिर कदम बढ़े
             मिली मंजिल।
( 02 )—-स्वतंत्र सृजन
              विधा – हाईकु
             विषय :  वर्षा
             मेघा आते है
             बाहर बुलाते है
             फिर भिगोते।
              बच्चे खेलते
              पानी मे है भीगते
              माँ परेशान।
               उन्हें बुलाती
               आवाज है लगाती
               वो आ जाते हैं।
               माँ चाय देती
               बच्चो को है बचाती
               बीमारी दूर।
               बच्चे फुर्तीले
               फिर से दौड़ते है
               माँ डाँटती है।
               #नीरज त्यागी
               ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश )

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