यकीन

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मुसीबत का पहाड़,
कितना भी बड़ा हो।
पर मन का यकीन,
उसे भेद देता है।
मुसीबतों के पहाड़ों को,
ढह देता है।
और अपने कर्म पर,
जो भरोसा रखता है।।

सांसारिक उलझनों में,
उलझा रहने वाला इंसान।
यदि कर्म प्रधान है तो,
हर जंग जीत जायेगा।
और हर परस्थितियों से
बाहर निकल आएगा।।

लिखता है कहानियाँ,
सफलता की इंसान।
गिरा देता है पहाड़ो को,
अपने आत्म विश्वाव से।
और यही से निकलता,
बहुमूल्य हीरा को।
और यह काम इंसान ही
अपने बूते पर करता है।।

रखो यकीन अपने,
आत्मबल पर तुम।
यकीन से में कहता हूं,
बदल जाएगी तेरी किस्मत।
न हो यकीन अगर तुमको,
तो कुछ करके काम देखो,
सफलता चूमेगी तेरे
कदमो को।।

#संजय जैन

परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों  पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से  कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें  सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की  शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।00

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