सीरियल CID की विदाई

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edris
दोस्तो हम फिल्मो पर समीक्षा के माध्यम से साझा होते आए है लेकिन आज चर्चा का विषय है लगातार 21 साल तक साथ चलने वाला टेलीविजन सीरियल CID,
साथियो देश का अपराध खोज (क्राइम डिटेक्शन) सीरियल CID से देश का बच्चा बच्चा वाकिफ है इस सीरियल ने हमारे सामने शैशव अवस्था से जवानी तक का 21 साल का सफर तय किया है
21 वर्षीय प्रसारण अवधि में हर किरदार जनमानस में दिलो तक मे घर कर गए थे |
21 जनवरी 1998 को पहला एपिसोड प्रसारित हुवा था लगभग 21 साल पहले और आखरी एपिसोड 27 ऑक्टोबर 2018 को आएगा
अब तक कुल 1546 एपिसोड प्रसारित हो चुके है,
शो के बंद होने की बात दयानंद शेट्टी ने मुंबई मिरर वेब पोर्टल के एक साक्षात्कार में कहि
पूरी यूनिट शूटिंग में मसरूफ थी तभी शो के निर्माता वीपी सिंग ने बताया कि शो निर्माता औऱ चैनल का तालमेल नही बेठ पा रहा तो शूटिंग अनिश्चितकालीन रोक दी गई है
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शो के मुख्य किरदार शुरू से ही शो से जुड़े हुवे थे और अंत तक जुड़े रहे
सबसे पहले  ACP प्रदुमन यानी शिवाजी साटम,
जो कि अजीब अजीब चेहरे की भाव भंगिमाओं के साथ शक करते रहना था ओर संवाद “कुछ तो गड़बड़ है” देश मे इतना प्रसिद्ध है कि सोशल मीडिया पर तक अपनी छाप छोड़ चुका है|
साथ ही पिछले 20 साल में इनके प्रमोशन न होने पर भी तरह तरह से सोशल मीडिया पर मज़ाक उड़ाया गया था बहरहाल मज़ाक अपनी जगह है औऱ उस संवाद की मकबूलियत (प्रसिद्धि) अपनी जगह है, शिवाजी साटम ओर शो के निर्माता वीपी सिंह इसके पहले भी कई प्रोजेक्ट्स साथ मे कर चुके थे जिसमें मुख्य मराठी शो 100 (एक शून्य शून्य) भी शामिल था तो दोनों की दोस्ती और वाबस्तगी (विश्वसनीयता) बड़े स्तर पर थी
दूसरा किरदार है सीनियर सब इंस्पेक्टर अभिजीत आदित्य क्षीवास्तव ने यह किरदार का निर्वहन किया शो के निर्माता सिंह ने इन्हें (राम गोपाल वर्मा की फ़िल्म सत्या में देखा और प्रभावित होकर न्योता दे दिया, आदित्य ऑडिशन देने पहुचे लेकिन निर्माता उन्हें कास्ट करने का मन बना चुके थे तो छोटी मोटी कार्यवाही को अंजाम देते हुवे कास्टिंग फाइनल हो गई, पहले आदित्य को 26 एपिसोड के लिए लिया गया था, 1998 में आदित्य ने कई फिल्मों में भी काम किया जिसके लिए उन्हें शो के निर्माता ने न केवल रियायत दी बल्कि सहयोग भी किया, साथ ही उन्हें आने जाने की पाबंदी से भी मुक्त रखा, लेकिन बाद में आदित्य इस किरदार की जीवन्तता महसूस करने लगे थे तो वह यही के होकर रह गए
 यह एकलौते किरदार थे पूरे शो में जिनकी प्रेम कहानी भी साथ साथ चलती है, डॉक्टर सालुंके के जूनियर डॉक्टर फोरेंसिक एक्सपर्ट तारीका पर इंसपेक्टर आदित्य रीझे हुवे थे और मन ही मन प्रेम करते है जिसे बड़ी शराफत ओर नफासत से पेश किया गया था शो में |
तीसरा किरदार सीनियर इंस्पेक्टर दयानन्द शेट्टी उर्फ दया असल जिंदगी में भी दयानन्द शेट्टी, दया दरवाज़ा तोड़ने में माहिर थे, जब भी शो का कोई विलेन या लाश कमरे में बंद होती थी तो ACP दया को दरवाज़ा तोड़ने के लिए निर्देश देते थे,
दयानंद शेट्टी को क्रू मेंबर संजय शेट्टी ने एक रंगमंच के नाटक के मंचन देखा जिसमे दया को सर्वक्षेष्ठ अभिनेता के आवर्ड से नवाजा गया था, संजय इस अदाकार से खासा मुतास्सिर(प्रभावित) थे और ऑडिशन की दावत दे डाली, दया पहुचे तो 5 मिंट की चर्चा के बाद किरदार अंतिम रूप में आ गया,
चौथा किरदार था दिनेश फडनिस यानी इंसपेक्टर फ्रेडरिक्स, यह कितदार अपनी बेवकूफाना हरकतों के लिए जाने जाते थे, यह भी एकमात्र किरदार था जो कि इस चिरगम्भीर शो में हास्य का तड़का भरते थे
अगले किरदार थे डॉक्टर सालुंके असल नाम नरेंद्र गुप्ता, जो कि फोरेंसिक विशेषज्ञ थे उनकी ओर ACP प्रदुमन की दोस्ती बड़ी पुरानी होने के साथ साथ एक विशेष प्रभाव से जुड़ी हुई बताई गई है ओर दोनो के मतभेद 21 साल से देखते आ रहे है, वही डॉक्टर सालुंके टेस्टट्यूब में एक बूंद केमिकल डाल कर लाल, नीले रंगों का प्रयोग करते दिखते रहे थे
टीवी हिस्ट्री में 7 नवम्बर 2004 को एक एपिसोड 111 मिंट का एपिसोड एक शॉट में लिया गया था, बिना कट ओर बिना रीटेक के एक शॉट में बनाया गया एपिसोड इसे नाम दिया गया था
द इन्हेरीटेन्स
इस एपिसोड के कारण
शो का नाम लिम्का बुक ओर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज है
देश मे 7 जुलाई 2006 से पूरे देश मे टेलेंट हंट के ज़रिए एक मुहिम शुरू की गई  ऑपरेशन तलाश जिसमे नई CID टीम बनाना मकसद था जिसमे एक नया किरदार दल में जुड़ा जिसका नाम था विवेक वी मशू जिन्हें शो में सब इंस्पेक्टर विवेका का किरदार दिया गया था
तो इस 21 वर्ष की टेलीविजन जगत की  गौरवगाथा को आज 27 ऑक्टोबर 2018 कोविराम लगा वह भी तकनीकी कारणों से |
एक सबसे अच्छी बात यह कि कोई अपराध ऐसा नही रहा जिसकी जांच में CID खरी न उतरी हो

#इदरीस खत्री

परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं| इनका परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।