मैं ऐसे ही ठीक हूँ
थोड़ी सी खुशी देकर
फिर दुख मेरे और
बढ़ाया मत करो
मेरे लब बेजान ही सही
दो पल की हँसी देकर
फिर मुझे और
रुलाया मत करो
मेरे सीने में ये खरोंचें ही ठीक हैं
थोड़ा सा फूँक कर
फिर उनमें और नमक
लगाया मत करो
मैं ना-उम्मीद ही ठीक हूँ
थोड़ी सी उम्मीद जगा कर
फिर मुझे और डराया मत करो
आँखों में छोटे-छोटे ख़्वाब ही ठीक हैं
बड़े ख़्वाब दिखा कर
फिर उन्हीं के टुकड़े चुभाया मत करो
परिचय : कपिल कुमार जैन का जन्म १९८६ में टोडारायसिंह ( टोंक) में हुआ है। वर्तमान में आप बाजार न. 2 भोपालगंज (भीलवाड़ा,राजस्थान) में बसे हुए हैं। बी.कॉम.(अजमेर) की पढ़ाई के बाद आपका ग्रेन मर्चेन्ट एण्ड कमीशन एजेन्ट का व्यवसाय है। आप मूल रुप से काव्य लेखन करते हैं। प्रकाशित संग्रह में विरह गीतिका,धूप के रंग, फिर खिली धूप,काव्य सकंलन आदि हैं।अंजुरी, पावनी,निर्झरिका काव्य संकलन भी निकले हैं तो पुष्पगन्धा भी है।