
ख्वाहिशे रखता है दूर बैठे भगवान से मिलने की ..!
घर में जो भगवान है उन्हें पूजता नहीं !
और ढूंढ़ता फिरता है मंदिर मस्ज़िद और गुरुद्वारों में /1
दो पल का है अन्धेरा बस सुबह का इन्तजार करो !
छोटी सी है ज़िंदगी बस हर किसी से प्यार करो…!
यदि प्यार न कर सको तो काम से काम नफ़रत भी न करो !2
और फिर इंसान ही मिटाता है।
सच तो ये है जो सुबह उठकर मां-बाप से आशीर्वाद लेता है !
उसका कभी अमंगल हो नहीं सकता !3
तो मां बाप की सेवा करो !
फिर देखो तुम्हरा बुरा समय कैसे अच्छे में बदलता है /
यदि मां-बाप को रुलाओगे कभी ना सुख पाओगे !
राजा होते हुए भी एक दिन भिखारी बन जाओगे /4
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।