मतदान के आधार क्या हों? विकास, धर्म, जाति!

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मतदान करना हर एक देशवासी का हक़ है।
हमारे यहाँ मतदान को लेकर ऐसा लगता है, जैसे कि यह एक पर्व है,
मतदान के कई दिनों पूर्व से ही ज़ोर-ज़ोर से प्रचार किया जाता है।
मतदान करना यह हमारा, तुम्हारा,
हर मतदाता के लिए एक पर्व है, जिस पर हमको गर्व है।
अपने देश के लिए पंतप्रधान चुर कर देना
यह हमारा परम कर्त्तव्य है।
है जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम,
मतदान करने के लिए उस पर है प्रतिबंध।
अपना मतदान ज़रूर करें,
भारत का भविष्य तय करें।
मतदाता स्वयं का निर्णय स्वयं ले, कौन काबिल? कौन नाकाबिल?
उम्मीदवार इसकी पहचान स्वयं करें।
बहकावे में किसी के न आएँ
विकास अपने देश का करना है, यह सोचकर ही मतदान करें।
लोकतांत्रिक देश है हमारा इसलिए,
चुनाव के बाद सरकार अपने वादे पूरा न करें,
तो सरकार से सवाल भी मतदाता ही करें।
कि सरकार कब होंगे पूरे वादे, जो तुमने चुनाव से पहले कह डाले?
संविधान हमारे देश का आदेश देता,
पाँच साल में एक बार चुनाव करना निश्चित होता।
मतदाता भी अपना कर्त्तव्य करें हर हाल में मतदान करें,
देश के विकास में अपना योगदान ज़रूर करें।
अपने वोट का इस्तेमाल जरूर करें,
ताकि चुने गए प्रतिनिधि महंगाई, भ्रष्टाचार, ग़रीबी, बेरोज़गारी, स्त्रियों की सुरक्षा आदि  समस्याएँ जड़ से खत्म करें
और हमारे देश का विकास निरंतर आगे बढ़े।
मतदाता ही देश के विकास की तस्वीर तय करता है,
वह सरकार बनाने में अपना सहयोग करता है।
लोकतांत्रिक प्रणाली और संविधान के तहत हमारे देश में तरह-तरह के चुनाव आयोजित होते हैं,
विधानसभा के चुनाव, लोकसभा के चुनाव, निकाय के चुनाव, नगर निगम के चुनाव
इन सब में ख़ास ये बात,
कि सभी जनता की भागीदारी से संपन्न होते हैं, देश, राज्य, शहर, कस्बे एवं गाँव की किस्मत मतदाता ही तय करते हैं।
केंद्र सरकार हो, राज्य सरकार हो इनका गठन जनता ही करती है, हर पाँच साल में लोकसभा चुनाव में जनता अपने मत का इस्तेमाल कर देश का पंतप्रधान चुनती है।
और पूरे देश की बागडोर देश के अपूर्व विकास के लिये शक्ति के प्रतीक प्रधानमंत्री को सौंपती है,
जिसके तहत प्रधानमंत्री ही देश के संपूर्ण विकास के लिए
ज़िम्मेदारी की अपने संपूर्ण मंत्रियों की शपथ विधि संपन्न होती है।
तो चलो उठो जागरूक करें कुछ अनभिज्ञ लोगों को,
अभी भी कुछ ऐसे मतदाता हैं, मतदान के महत्त्व को नहीं समझते।
एक-एक वोट कितना महत्त्वशाली है,
सरकार बनाने में योगदान उसका कितना भारी है।
कुछ मतदाता ऐसे भी हैं कि छुट्टी मना कर मतदान के दिन अपना समय व्यतीत करते हैं,
और कुछ मतदाता ऐसे भी हैं दूर शहर से आकर मतदान कर अपने मत का उपयोग कर जाते हैं।
यद्यपि मतदान का महत्त्व बहुत लोगों को समझ में आया है, मतदान के प्रतिशत में इज़ाफ़ा भी हुआ है।
चल कर बताते हैं मतदाताओं को ज़्यादा से ज़्यादा मतदान करें,
सही प्रतिनिधि का चुनाव करें। वरना विकास का मार्ग रुक जाएगा,
देश आगे नहीं बढ़ पाएगा।
तो यह एक सुनहरा मौका है,
देश के भविष्य के निर्माण में योगदान अपना भी रहता है।
यह मौका बार-बार नहीं पाँच साल में एक बार आता है,
इसी बहाने जन-जन का कल्याण अपने द्वारा हो जाता है।
याद रखें धर्म–जाति को देखकर मतदान न करें
कुछ भ्रष्ट राजनेता इन्हीं को आधार बनाकर सांप्रदायिक राजनीति कर रहे हैं।
ऐसे में हमें जागरुक रहना है,
और ऐसे नेताओं की सोच को बदलना है।
अपने देश भारत का विकास
हर हाल में करना है।

#संध्या राणे

इन्दौर, मध्यप्रदेश

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