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अब कोई और वादा ऐ वफा न करो।
जिंदगी को मेरी तुम सज़ा न करो।
हिज्र ऐ ग़म में तस्कीन है मुझको।
फिर से तुम वस्ल की दुआ न करो।
अच्छी गुज़र रही है तन्हाई में मेरी
जिन्दगी किसी को हमनवाँ न करो।
सज़दे में तेरे जब गिर ही गये हम
किसी और को मेरा खुदा न करो।
राख हो गये तेरे इशक में यारा
हवा दे के फिर धूआँ धूआँ न करो।
एक सकून है कि बावफा हैं हम
यूँ बेबात हम को बेवफा न करो।
कीमती है हर लम्हा तेरी जिन्दगी का
मेरे लिये यूँ ही वक्त रायदा न करो।
#सुरिंदर कौर
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