माँ की आस

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dhanraj vaani
बैठी हूँ मैं आस लगाऐ
मुन्ना कब घर आयेगा
थक गई है,बुढ़ी आँखे
कब तक मुझे सतायेगा
बड़ा नटखट था बचपन में
सरपट दौड़ लगाता था
भागी-भागी मैं तेरे पीछे
तु फिर भी निकल जाता था
देखकर भूखा तुझको मुन्ने
मैं भूखी ही सो जाती थी
उठकर रोता रात को बेटे
मैं तुझको दूध पिलाती थी
देकर थपकियाँ पीठ पर
सूरज निकल आता था
याद है,अब भी तु
कितना मुझे सताता था
बड़े सबेरे उठकर
घर से निकल जाता था
पकड़कर लाती थी मैं
तब झूठी कसमें खाता था
छोड़कर न जाऊँगा मम्मा
तुझको कभी अकेले
आ जाऊँगा मम्मा मेरी
‘दिन ढलने’ से पहले
बड़ा हो गया मुन्ना मेरा
अब भी बहुत सताया है
‘ढल गये कितने ही सूरज’
पर लौटकर नहीं आया है
तब भी भूखी सोती थी मैं
अब भी राह तांक रही हूँ
बहुत दिन हो गये बेटा
भूख मे दिन काट रही हूँ
अब तो आ जाओ मुन्ने मेरे
याद बहुत सताती है
देखने को नाती-पोते
आँखे तरस जाती है
गुंजती थी किलकारी
अब आँगन सुनसान हुआ
लेकर लाठी का सहारा
मेरा मन भी परेशान हुआ
कहते है पड़ोसी मुझसे
बहु ,बेटा नही आयेंगे
खा लो माँजी खाना अब
यूं दिन कैसे कट पायेंगे
कहती हूँ मैं उनसे अब भी
मुन्ना जरूर आयेगा
देखूंगी उसकी थाली में रोटी
तब पेट मेरा भर जायेगा
#धनराज वाणी
परिचय- 
श्री धनराज वाणी  ‘उच्च श्रेणी शिक्षक’ हाई स्कूल उबलड विकास खण्ड जोबट जिला अलिराजपुर में 30 वर्षो का सेवाकाल (मूल निवास जोबट)
जन्म स्थान जोबट(मध्यप्रदेश)
पत्नि का नाम -कविता वाणी (प्राचार्य )इनकी भी साहित्य में रुचि व महिला शसक्तीकरण के क्षेत्र में कार्य व आकाशवाणी मे काव्य पाठ किया
2.शिक्षा-एम.ए.बी.एड.(समाजशास्त्र)
3.रुचि-साहित्य व रचनाकार 
विषय-वीरस,चिंतन,देशभक्ति के गीत व कविताओं की रचना
4.उपलब्धियां-आकाशवाणी इंदौर से 7 बार काव्य पाठ किया व स्थानीय,जिलास्तरीय व अखिल भारतीय मंचो से भी  काव्यपाठ किया!
वर्तमान में अर्पण कला मंच जोबट मे साहित्य प्रकोष्ठ का प्रभार है.
5.बचपन से साहित्य के प्रति  रुचि व हिन्दी के प्रति प्रेम

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2 thoughts on “माँ की आस

  1. I am so honoured to share the 22 years of my life with a man who is accomodating persn with atender heart, my best childhood friend and my father Kavi Dhanraj Vani.

    Love you Papa.

  2. I am very proud to share my childhood with my best friend, a scintillating poet- my father.

    Love you papa.

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