सर्वोपरि हिंदी

1
0 0
Read Time2 Minute, 6 Second
renu
कल रात मेरे सपने में हिंदी आई
अपनी पीड़ा कुछ इस तरह बताई
क्यों सबने अंग्रेजी की रीत अपनाई
अपने ही जहां में मैं हुई पराई
हर कोई मुझे कर रहा उपेक्षित
यह सुन मेरी आंख गलानि से भर आई
सोचा घर -घर जाकर करूं प्रचार
क्यों ना अपने विद्यालय से ही शुरू करूँ
मन में आया यह नेक विचार
बच्चों में प्रेरणा जगाऊं,
कोमल मन में हिंदी को बसाऊं
सांस्कृतिक एकता की है यह प्रतीक
उनको मैं बताऊँ
मानवीय गुणों से ओतप्रोत प्रेम का मीठा दरिया है
दुनिया को जोड़ें आपस में वह मजबूत धागा है
ज्ञान की देवी है ये मैं उसको गले लगाऊं
हिंदी हमारी आशा है ,
हिंदी सर्वप्रिय भाषा है
गीत इसी के मैं गाऊँ
आजादी की लड़ी लड़ाई वह भी हिंदी
जिस ने हमें दिलाई आजादी वह भी हिंदी
नादान नहीं थे हिंदी के पुरोधा हरिश्चंद्र
कवि मतिराम नहीं थे बुद्धि से हीन
दिन-रात कलम चलाकर हिंदी में
ही कृति रचा करते थे महान
हिंदी मेरी शान है ,ये गुणों की खान है
सच बताऊँ हर भारतवासी की पहचान है
जातीयता संकीर्णता से परे
अनेकता में एकता का सूत्र महान है
इसका करूं कहां तक गुणगान
मेरे लब न ले विराम
है राष्ट्रीयता की आत्मा ये
हिंदी जन्नत की गंगा है
यह माध्यम स्वाधीन देश का है
जिसका ध्वजा तिरंगा है
यह भारत माता के माथे की बिंदी है
मिलन और सौहार्द की भाषा हिंदी है
दुनिया में सर्वोपरि भाषा हिंदी है
दुनिया की सर्वोपरि भाषा हिंदी है।
#रेनू शर्मा*शब्द मुखर*
जयपुर

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

One thought on “सर्वोपरि हिंदी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

श्री गणेश

Thu Sep 13 , 2018
मनावर जिला धार (मप्र ) के वरिष्ठ कवि श्री शिवदत्त जी “प्राण ” ने लगभग 60 वर्ष पूर्व गणेश जी की स्वरचित आरती लिखी थी जो पूरे मनावर एवं  आसपास के क्षेत्रों  में संगीत के साथ आज तक ये ही आरती गणेशउत्सव पर गाई जाती है- आरती गजानन जी की ,पार्वती […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।