Read Time1 Minute, 38 Second
चीखता अंतर्मन
बचपन कराहता
टूटता कुछ भीतर तक
जब जनक,
जननी
एक दूसरे का करते
परित्याग —
जन्म मिलकर दोनों ने दिया
संरचित किया
एक मांस पिंड को
जीव में किया
तब्दील
जान फूंक दिया
उस लोथड़े में
फिर ये कैसा
आघात —
लगाते एक दूसरे पर
आरोप, प्रत्यारोप
दिखाते एक दूसरे को
सर्वथा नीचे,
दोनों को ही
बुरी क्यों
लगने लगी
दोनों की
हर बात –
क्यों नहीं बिठा
पाए वो
आपसी रिश्तों में
सहमति,
सामंजस्य
सुधार, रिश्तों की
मर्यादा
मधुरता को करते रहते
तार तार
समझ नहीं पाते एक
दूसरे के
जज्बात –
उस अबोध के लिए
खींचातानी
मै रखूंगा
मै रखूंगी..
उफ्फ
बचपन तो कुम्हला गया न
आपसी रंजिश में
उसे तो दोनों चाहिए
किसी एक का चुनाव कैसे
बचपन तो
सिसकता रहा न..
परिचय:
नाम – मधु पांडेय
साहित्यिक उपनाम – मृदुला
जन्मतिथि – 17 मई 19- 80
वर्तमान पता – अनिल नगर, चितई पुर वाराणसी
शिक्षा – ग्रेजुएट इतिहास ऑनर्स
कार्य क्षेत्र -हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत
विधा – श्रृंगार रस,प्राकृतिक सौंदर्य, सामाजिक भ्रष्टाचार
अन्य उपलब्धियां- संगीत क्षेत्र में कई
Post Views:
565
Tue Sep 4 , 2018
ये जो नक्सलवादी हैं नेता नहीं फसादी हैं। बातों से कब मानेंगे जो जूतों के आदी हैं। मसले से क्या है मतलब जो केवल उन्मादी हैं। गाँधी जी से क्या मतलब केवल कपड़े खादी हैं। लोक नहीं है भेंड़ हैं ये बस गन्ने की फांदी है । लोक तंत्र की […]