सिसकता बचपन

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madhu pandey
चीखता अंतर्मन
बचपन कराहता
टूटता कुछ भीतर तक
जब जनक,
जननी
एक दूसरे का करते
परित्याग —
जन्म मिलकर दोनों ने दिया
संरचित किया
एक मांस पिंड को
जीव में किया
तब्दील
जान फूंक दिया
उस लोथड़े में
फिर ये कैसा
आघात —
लगाते एक दूसरे पर
आरोप, प्रत्यारोप
दिखाते एक दूसरे को
सर्वथा नीचे,
दोनों को ही
बुरी क्यों
लगने लगी
दोनों की
हर बात –
क्यों नहीं बिठा
 पाए वो
आपसी रिश्तों में
 सहमति,
सामंजस्य
सुधार, रिश्तों की
 मर्यादा
मधुरता को करते रहते
तार तार
समझ नहीं पाते एक
दूसरे के
जज्बात –
उस अबोध के लिए
खींचातानी
मै रखूंगा
मै रखूंगी..
उफ्फ
बचपन तो कुम्हला गया न
आपसी रंजिश में
उसे तो दोनों चाहिए
किसी एक का चुनाव कैसे
बचपन तो
सिसकता रहा न..
#मधु पांडेय
परिचय:

नाम  – मधु पांडेय 
साहित्यिक उपनाम – मृदुला 
जन्मतिथि –  17 मई 19- 80
वर्तमान पता – अनिल नगर, चितई पुर वाराणसी 
शिक्षा – ग्रेजुएट इतिहास ऑनर्स 
कार्य क्षेत्र -हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत
विधा – श्रृंगार रस,प्राकृतिक सौंदर्य, सामाजिक भ्रष्टाचार
अन्य उपलब्धियां- संगीत क्षेत्र में कई

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