सांवली घटा

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priti pandey

आकाश में बैठी बैठी यूं
ऐसे है क्यों इतराती तू
ऐ घटा सांवली ये तो बता
धरती पे क्यों नहीं आती तू..!!
सूखे खेतों की आस है तू
मरू स्थल की प्यास है तू
दृग में तो तू बरबस छाती
मन गागर क्यूं नहीं भर जाती..
 अपनी बूंदों से कृषक हृदय क्यों
पुनः नहीं हर्षाती तू
ऐ घटा सांवली…!!
तेरे आने से खिल जाती है
धरती की धानी चुनरिया
कितने जोड़ों में राधा के संग
झूला झूले सांवरिया..
उन अधरों पे मुस्कानों की
क्यों वज़ह नहीं बन जाती तू..!!
ऐ घटा सांवली..
तू क़िस्मत वाली है री सखी
सब तेरी राह नीरखते हैं
तू अा जाए अब अा जाए
कहते सब ये नहीं थकते हैं
आस भरी उन अंखियों को
फ़िर से नहीं क्यों चमकाती तू..!!
ऐ घटा सांवली ये तो बता
धरती पे क्यों नहीं आती तू…!!
#प्रीति पांडेय
परिचय:
प्रीति पांडेय
साहित्यिक उपनाम-     रश्मि
राज्य-   बिहार
शहर- सासाराम
शिक्षा-  एम. ए.
कार्य क्षेत्र-   शिक्षण
विधा-   वीर , श्रृंगार, अन्य भी..।

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