अहं के नशे में चूर करके खुद को,
पुरुषत्व की पहचान बताता है…..
क्या यही है पुरुष…..??
हसीं छीनकर के नारी की उसे,
खूब खून के आंसू रुलाता है…..।
जुर्म ढाता नारी पर बोल पड़े,
तो उसे वो बेहया बताता है…….।।
क्या यही है पुरूष….??
भोगकर नारी को फिर उसके,
चरित्र पर लांछन लगाता है……।
अगर विरोध करे नारी कभी,
तो उस पर वो हाथ उठाता है….।।
क्या यही है पुरुष….??
कठपुतली बना उसे हाथो की,
उस पर मर्दानगी जताता है…..।
डर के साये में रहती है वो,
गर्दन तक हाथ पहुँचाता है……।।
क्या यही है पुरुष….??
धिक्कार ऐसे पुरुषत्व को,
जो नारी का सम्मान नही करते…
उनसे तो वो किन्नर भले,
जो किसी का अपमान नही करते..।
कब तक बर्दाश्त करेगी ये,
“मलिक” अब गरज उठेगी….
कितने मर्द है बता दे वो,
जो ये काम तमाम नही करते…।।।।
#सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।