ना जाने ….

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manorama ratale
ना जाने ….
क्या सोच….
मै उठा लेती हूं …
कोई भी किताब
बस….
यही देखने..
कि..शायद
बनी हो…
ऐसी भी कोई किताब..
जिसमें हो…
नारी के…..
सुख दुख का हिसाब…
फिर..दुबारा..
इसी आशा के साथ….
खोजती नई किताब..
कि ये होगी वो किताब..
जिसमे होगा…..
नारी की पीड़ा और दबाव
का चित्रण…
नहीं होगी
सिर्फ नारी के शबाब
की व्याख्या..
वरन ..होगी उसके
उन ख्वाबो की व्याख्या…
जिसे हर नारी…
पढ़ना ,और देखना चाहती है
कब तक…
आखिर कब तक..
मुझे यू ही…
किताबो को…
उलट पलट…
देखना होगा….
कब वो किताब मिलेगी…?
जिसमे…
नारी …..
भोग्या नहीं …
वरन …उसे भी…
जीता जाता इंसान ..
परिभाषित किया जाऐगा..
जिसे भी दर्द ….
और अन्य परेशानियों होती है …
अन्य लोगो की तरह…
#मनोरमा संजय रतले
परिचय : मनोरमा संजय रतले की जन्मतिथि- १७ मार्च १९७६ और जन्म स्थान-कटनी(मध्यप्रदेश)है। आपने अर्थशास्त्र में एमए की शिक्षा प्राप्त की है। कार्यक्षेत्र-समाजसेवा है। आपका निवास मध्यप्रदेश के दमोह में ही है।सामाजिक क्षेत्र में सेवा के लिए दमोह में कुछ समितियों से सदस्य के रुप में जुड़ी हुई हैं,तो कुछ की पूर्व अध्यक्ष हैं। लेखन में आपकी विधा-कविता,लघुकथा,लेख तथा मुक्त गीत है। आपकॊ हिन्दी लेखिका संघ दमोह से साहित्य श्री सम्मान,छत्तीसगढ़ से महिमा साहित्य भूषण सम्मान,छत्तीसगढ़ से प्रेरणा साहित्य रत्न सम्मान सहित भोपाल से शब्द शक्ति सम्मान एवं आयरन लेडी ऑफ दमोह से भी सम्मानित किया गया है। विविध पत्रों में आपकी रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। श्रीमती रतले के लेखन का उद्देश्य-शौक,समाज के लिए कुछ करना और विचारों की क्रांति लाना है। 

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।