चीरहरण

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चीत्कारों से जब गूंज उठी थी,
सभा कौरवों के राज की।
क्या सन्नाटा छाया होगा
ओर क्या कहानी होगी,
उस शाम की।
सबने सब कुछ सोचा होगा,
कि पांडवों ने क्यों था ऐसे किया।
पर क्या सोचा होगा द्रौपदी ने,
जब चीर था दुशासन ने छुआ।
हाय क्यों मैंने माना अपने ,
अभिमान को अपना ही गहना।
जब आज उस अभिमान के कारण,
इस विष को पड़ा मुझे सहना।
न जानें तब क्यों चुप हो गई थी,
जब बँटी थी मैं सामान सी।
क्यों मुस्काई थी मैं तब,
जब हो गई थी नाकाम सी।
मैंने क्यों सोचा कि एक,
जीवन में पूरा नभ घोलूँ मैं।
तब मर्यादा न रख पाई तो ,
अब कैसे कुछ बोले मैं।
पाना चाहा सारा क्षितिज,
पर पा न सकी इक साझं भी।
बनकर रह गई मात्र छलावा,
ओर खो बैठी अपना नाम ही।
जानती थी कि हाथ है कौरव के,
पर मन पांडव के थे सभा में।
पर कैसे कहती तू अब तो
हो जा मेरा,
अब बात थी मेरे आन की ।
हर पल हर पग ध्यान दिया की,
अब न मैं कोई नारी हूँ।
हाँ, हूँ मैं एक प्रतिज्ञा,
निर्जीव हूँ मैं,
मैं तो खुद से ही हारी हूँ।
नाश हुआ एक कुल का था तब,
विनाश हुआ तब पर मेरा भी।
न मैं भीतर से मरती,
और न तू मुझसे जीता ही।
अब न मैं जन्म लूँगी,
ए तारणहार मेरी सुन लेना,
अब हर बार मुझे जीवन देकर,
न बार-बार मेरी बलि लेना।
पर हाय मैं बेचारी लेती हूँ,
आज भी अग्नि के फेरे,
फिर लाचार हो जाती हूँ,
क्यों तारणहार तुम भी नहीं मेरे।
तब मैं सन्नाटों में चीखी,
अब चीखूँ मैं खुलेआम ही ,
काश वो समय आ जाए ,
जब चीर हरे मात्र नाम ही।
अब तो बहुत मुखौटे है,
किस-किस का नाश करूँगी मैं,
हे सृजन, हे देव मेरे,
अब तो धरा बनूँगी मैं।
सहना है हर पल मुझको ,
हाथों और नज़रों से चीरहरण ,
पर फिर भी चुप होना है मुझको,
क्योंकि यही है आज की द्रौपदी का जीवन।

अदिति सिंह भदौरिया

इन्दौर

परिचय—–

नाम—अदिति सिंह भदौरिया
लेखिका, कहानीकार, कवियित्री,
जन्म– 10.दिसम्बर
शिक्षा- एम. बी. ए(एच.र)

सदस्य–शुभ संकल्प ग्रुप, विचार प्रवाह साहित्यिक मंच ।
क्षितिज साहित्य मंच।

शुभसंकल्प मंच के साझा संग्रह में कविता प्रकाशित।
विचार प्रवाह साहित्यिक मंच द्वारा सांझा लघुकथा संग्रह में लघुकथा प्रकाशित।
राष्ट्रीय पुस्तक मेले काव्य पाठ
इंदौर लिटरेचर फेस्टीवल में परिचर्चा के लिये आमंत्रित

क्षितिज इंदौर मंच द्बवारा
अखिल भारतीय लघु कथा सम्मेलन में(सहभागिता सम्मान)
विश्व इंदौर लेखिका मंच द्बारा (नारी गौरव सम्मान)

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।