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पढ़ी लिखी भौजी और,
भैया की ये है कहानी।
गांव वालों को है सुनानी।
क्योंकि भौजी की कार्यशैली हैं निराली।।
भौजी की कार्य शैली बहुत हैं निराली।
घर बार के बारे में वो सब जाने।
तभी तो सबको कामों में लगा दिया।
घर की बेरोजगारी को उन्होंने भागा दिया।
आज कल भौजी के किस्से हर कोई सुनता।
जुवा पर भौजी का नाम आता है।।
पढ़े लिखे भैया और भौजी।
शहर को छोड़ गांव में आये ।
गांवों के तौर तरीके वो बदलेंगे। 2
हर किसी को आत्मनिर्भर बनायेंगें।
अपनी पढ़ाई का दोनों उपयोग दिखेंगें।
गांव को आत्मनिर्भर बनाएँगे।।
अब तो भौजी के चारो तरफ है चर्चा।
भैया के संग गांव वाले भी हैं चाहते।
तभी तो भौजी अब सबको है भाती ।
इसलिए भौजी अब ज्यादा इतराती।
सारे गांव में वो अपनी खूब चलती।
गांव को शहर बनाती।।
बड़े बूढे भी अब खुश बहुत दिखते है ।
बहू के कामो की प्रसन्नता सब करते है।
गांव वालो की मानो बदली है काया।
सारो को जो धंधे पानी से जो लगाया।
अब पढ़े लिखो का अब कर्तव्य ये है बनता।
गांवों को उन्नत बनाये..2।
उपरोक्त बुन्देलखंडी गीत आप सभी को समर्पित हैं अपनी प्रतिक्रियाएं दे।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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