ना जाने कौन सा रस्ता तलाश करता हूं
कि अब तो मैं भी तुम्ही;सा तलाश करता हूं
हमारे जिस्म के हिस्से में गड़ गया था जो
मैं आज तक वही शीशा तलाश करता हूं
वो एक शख्स जिसे देखने का आदि था
मैं आज तक वही चेहरा तलाश करता हूं
बड़े बड़ो; की हमें कुरबते; जो भाती है
मैं साथ रहके सलीका तलाश करता हूं
ये लोग हाथ को काला कभी नहीं करते
मैं कोयले से भी हीरा तलाश करता हूं
तुम्हारे शहर में जीता हूं मौत ही की तरह
हवा है गर्म दरीचा तलाश करता हूं
#डॉ.जियाउर रहमान जाफरीपरिचय : डॉ.जियाउर रहमान जाफरी की शिक्षा एम.ए. (हिन्दी),बी.एड. सहित पीएचडी(हिन्दी) हैl आप शायर और आलोचक हैं तथा हिन्दी,उर्दू और मैथिली भाषा के कई पत्र- पत्रिकाओं में नियमित लेखन जारी हैl प्रकाशित कृति-खुले दरीचे की खुशबू(हिन्दी ग़ज़ल),खुशबू छूकर आई है और चाँद हमारी मुट्ठी में है(बाल कविता) आदि हैंl आपदा विभाग और राजभाषा विभाग बिहार से आप पुरुस्कृत हो चुके हैंl आपका निवास बिहार राज्य के नालंदा जिला स्थित बेगूसराय में हैl सम्प्रति की बात करें तो आप बिहार सरकार में अध्यापन कार्य करते हैंl