Read Time2 Minute, 14 Second
मेघा क्यों बृजगाँव में आए
नहीं तनिक तुम हमको भाए
उलट पाँव अब जाओ पुरी को
जहाँ राज मोहन मन छाए ।
कहना उन बिन ऊसर मधुवन
नहीं चहकता अब नंदनवन
सूना सूना सब बृजमंडल
नहीं महकता है वृंदावन ।
साँवरिया के मधुर मिलन बिन
भला मेघ ऋतु किसे सुहाए
ले जाओ संग बदरी अपनी
क्यों तुम मधुपल व्यर्थ गँवाए ।
मेघा क्यों बृजगाँव में आए. .
#डॉ रीता सिंह
परिचय –
डॉ रीता (असि. प्रोफेसर )
राजनीति विज्ञान विभाग
एन के बी एम जी ( पी. जी.) कॉलेज ,
चन्दौसी (सम्भल) , उत्तर प्रदेश
साहित्यिक परिचय –
‘अन्तर्वेदना ‘ नाम से एक काव्य संग्रह प्रकाशित ।
साहित्य अमृत , कादम्बिनी , मुक्ता , सरिता , हस्ताक्षर वेब पत्रिका , प्रेरणा अंशु आदि पत्रिकाओं , विभिन्न समाचार पत्रों , शोध पत्रिकाओं आदि में काव्य रचनाओं , आलेखों व शोध पत्रों का प्रकाशन ।
वर्तमान सृजन , अखिल भारतीय आध्यात्मिक साहित्यिक काव्यधारा , काव्यामृत , शुभमस्तु , प्यारी बेटियाँ , धामपुर के कवि एवं साहित्यकार आदि साझा काव्य संग्रहों में काव्य रचनाओं का प्रकाशन ।
नवोदित साहित्यकार मंच , कवितालोक व आगाज़ आदि विभिन्न साहित्यिक मंच द्वारा सर्वश्रेष्ठ रचना सम्मान से सम्मानित , अखिल भारतीय आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा व विभिन्न साहित्यिक सामाजिक संस्थाओं द्वारा ‘ काव्य प्रज्ञा ‘ व ‘ साहित्य मनीषी , साहित्य सृजक ‘ आदि ‘सम्मान से सम्मानित , अक्षर प्रकाशन आदि द्वारा सम्मानित ।
पता – नई दिल्ली
Post Views:
557
Wed Jun 27 , 2018
कहूँ क्या बात मैं चलन की कुरीतियों से हुयी जकड़ी भारत के अनेक रहन की कई दुखद विचारों की मानसिकता है अगन सी साक्षरता कहीं किताबी सी भेद करते लोग बेहिसाबी सी लिंग तय करता पुरुष भ्रूण कोसते स्त्री कोख खराबी की क्या करूं मैं बात चलन की दहेज़ भी […]