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मोदी और महबूबा की,
टूटनी एक दिन कमान थी,
धधकती मोदी के दिल में,
देश की आन बान शान थी।
जब राष्ट्रप्रेम में थोड़ी भी,
जलने की गंध आती हो,
बुनियाद खोखली करने को,
दीमक जब लग जाती हो।
मोदी जी का माथा ठनका,
तोड़ दिया जो गठबंधन था,
मुक्ति पाकर मुफ्ती से,
सियासत का तोड़ा बंधन था।
आतंक पला घाटी में खूब,
और जिया गठजोड़ निराशा में,
पिलाते रहे नागों को दूध,
शांति की प्यारी आशा में।
खाते रहे मार पत्थरों की,
जो सैनिक हिम्मत वाले हैं,
सुनो सैनिकों की चीखों को,
भारत के जो रखवाले हैं।
बांधे हैं सैनिक आदेशों से,
बरना किया सफाया होता,
इस आतंकी धरती में ही,
पत्थरबाजों को दफनाया होता।
फिर आतंकी भी अनचाहे में,
भक्त राष्ट्र के बन जाते,
तिरंगे को करते प्रणाम,
और राष्ट्रगान की धुन गाते।
निर्भय होकर निर्णय लो मोदी जी,
अब विरोधियों की क्यों फेरी हैं?
पत्थरबाजों को सबक सिखाने में,
इतनी अब क्यों देरी हैं?
आजाद करो सेना के हाथों को,
समय की यह मजबूरी है,
काश्मीर की किस्मत को,
चमकाना आज जरूरी है।
कुचलोऔर बढ़ते जाओ,
जिधर पत्थरों की झोली हो,
भारत मां की जयकारों पर,
जिधर बरसती गोली हो।
एडी से रगड़ो मुँह उसका,
जो भारत से नफरत करता हो,
भारत को घायल करने की,
जो गंदी हरकत करता हो।
#अतुल कुमार शर्मा
परिचय:अतुल कुमार शर्मा की जन्मतिथि-१४ सितम्बर १९८२ और जन्म स्थान-सम्भल(उत्तरप्रदेश)हैl आपका वर्तमान निवास सम्भल शहर के शिवाजी चौक में हैl आपने ३ विषयों में एम.ए.(अंग्रेजी,शिक्षाशास्त्र,समाजशास्त्र)किया हैl साथ ही बी.एड.,विशिष्ट बी.टी.सी. और आई.जी.डी.की शिक्षा भी ली हैl निजी शाला(भवानीपुर) में आप प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत हैंl सामाजिक क्षेत्र में एक संस्था में कोषाध्यक्ष हैं।आपको कविता लिखने का शौक हैl कई पत्रिकाओं में आपकी कविताओं को स्थान दिया गया है। एक समाचार-पत्र द्वारा आपको सम्मानित भी किया गया है। उपलब्धि यही है कि,मासिक पत्रिकाओं में निरंतर लेखन प्रकाशित होता रहता हैl आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को उजागर करना हैl
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देश के दुखद हालातों पर लिखी थी, परेशान होकर यह कविता। आप सबका प्यार पाकर मेरा उत्साहवर्धन हुआ , और लाईक देने के लिए सभी पाठकों का आभार।